MP News: रेंजर शुक्ला को संरक्षण? बिना जांच के ट्रांसफर, FIR और कार्यवाही कागजों में सिमटी।
जिस रेंजर पर कार्यवाही होना था एफआईआर होना था उसे बिना किसी जांच के सस्पेंड करने की बजाए कर दिया ट्रांसफर, पर आज तक नही हुई एफआईआर कागज ही....
रिपोर्ट- शशांक सोनकपुरिया
बैतूल मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश के बैतूल में मध्यप्रदेश वन राज्य निगम के जंगलों के इस वक्त तो भगवान ही मालिक है इतने भृष्टाचार के मामले सामने लाने के बावजूद सारी खबरों में जांच सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गई पर धरातल पर कोई कार्यवाही न होना अब तो निगम के एमडी की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर रही है मामला रेंजर और एसडीओ के पद पर रहे शुक्ला का है बता दें कि रेंजर शुक्ला निगम में जिन जिन रेंजों में रहे सब जगह भारी भृष्टाचार को अंजाम देने में पीछे नही हटे है वही रेंजर एसडीओ पद पर भी रहे है निगम में ही उस समय के मामलों में भी कोई कार्यवाही नही हुई जांच के नाम पर लेनदेन कर अधिनस्थों को बचाने में भी रेंजर शुक्ला को महारत हासिल है।
उन्हें बखुबी पता है कि अपनी कलम का उपयोग कहाँ करना है और अपने अधीनस्थों को कैसे बचाना है जिसका नतीजा यह है कि निगम में भारी भृष्टाचार फैला हुआ है वहीं प्लान्टेशनों की अवैध कटाई से लेकर अतिक्रमण थिनिंग के नाम पर लाखों का भृष्टाचार भी इसी रेंजर शुक्ला द्वारा चोपना रेंज में किया गया है वहीं 3 साल से फैले अतिक्रमण पर आज तक कोई कार्यवाही नही की गई पीओआर भी किये गए तो डिवीज़न में जमा नही की गई पीओआर कि कॉपी जिसको लेकर हमारे द्वारा लगातार खबरें प्रकाशित की गई है बावजूद इसके कोई जांच न होना और उच्चाधिकारियों द्वारा रेंजर पर कोई कार्यवाही न करते हुए सीधे कहीं और ट्रांसफर कर देना अब डीएम को भी संदेह के घेरे में खड़ा कर रही है।
मामलों में कोई जांच न करना और सरकारी दस्तावेजों को अपने पास रखना जैसे गंभीर मामलों में आज तक एफआईआर का न होना कई सवाल खड़े कर रहा है वहीं सूत्रों के हवाले से भी यह जानकारी सामने आई है कि इस पूरे प्रकरण में एसडीओ की मिलीभगत के चलते ही आज तक कोई कार्यवाही नही की गई बल्कि शुक्ला के कहने पर ही उसका ट्रांसफर कर रिलीव भी कर दिया गया और आज तक निष्पक्ष जांच भी नही हो पाई है वहीं संभागीय प्रबंधक द्वारा एफआईआर के आदेश भी दिए गए थे पर वो कार्यवाही भी आज तक न होना कहीं न कहीं ऊपर से लेकर नीचे तक अधिकारियों का इतने बड़े में भृष्टाचार में लिप्त होने की ओर इशारा कर रहा है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी आदेश दिया गया है कि 1 वर्ष में जंगल की जमीनों का अतिक्रमण हटाकर अतिक्रमण मुक्त करवाना होगा खैर अब देखने वाली बात होगी कि निगम में कब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया जाता है और निगम के जंगलों को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा।
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