Rae Bareli : पांच करोड़ का सोलर प्लांट बना कबाड़, तीन साल से उपेक्षा के अंधियारे में डूबे सात गांव
सपा शासनकाल में तत्कालीन विधायक रामलाल अकेला और चंदापुर रियासत के कौशलेंद्र विक्रम सिंह के प्रयास से यूपी नेडा ने गुड़गांव की कंपनी सुकेम पावर सिस्टम से
रायबरेली। महराजगंज ब्लॉक के चंदापुर में 2016-17 में करीब 4 करोड़ 95 लाख 65 हजार रुपये की लागत से लगा 230 किलोवाट का मिनी ग्रिड सोलर पावर प्लांट आज सफेद हाथी बनकर रह गया है। तकनीकी खराबी के चलते पिछले तीन साल से यह संयंत्र पूरी तरह बंद पड़ा है, जिससे चंदापुर सहित सात गांवों के करीब 500 घर फिर से अंधेरे और बिजली बिल के बोझ तले दब गए हैं।
सपा शासनकाल में तत्कालीन विधायक रामलाल अकेला और चंदापुर रियासत के कौशलेंद्र विक्रम सिंह के प्रयास से यूपी नेडा ने गुड़गांव की कंपनी सुकेम पावर सिस्टम से यह प्लांट लगवाया था। शुरू में 3290 की आबादी वाले चंदापुर, नयापुरवा, पुरानी बाजार, पंडित का पुरवा, पूरे जुड़ई, पूरे रानी, पूरे गोसाईं और जगमोहनपुर – इन सात गांवों के लगभग 500 घरों में मुफ्त सोलर बिजली पहुंची थी। किसान छोटे नलकूप चला लेते थे, रात-दिन रोशनी रहती थी और लोग खुश थे।
लेकिन 2022 के बाद प्लांट के चार बड़े इन्वर्टर और 400 बैटरियां एक-एक कर खराब हो गईं। तब से बिजली उत्पादन पूरी तरह ठप है। सोलर पैनल तो चमक रहे हैं, पर उनसे एक वाट बिजली भी नहीं बन रही। प्लांट में तैनात ऑपरेटर पुष्पेंद्र जैन ने बताया, “बैटरी और इन्वर्टर पूरी तरह डैमेज हो चुके हैं, इसलिए संयंत्र बंद है।”
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने यूपी नेडा के अधिकारियों से दर्जनों बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब मजबूरी में लोगों ने फिर से बिजली विभाग का सशुल्क कनेक्शन ले लिया है और हर महीने भारी बिल भर रहे हैं।
आज जबकि केंद्र और प्रदेश सरकार घर-घर सोलर लगाने के लिए लाखों रुपये की सब्सिडी दे रही है, वहीं चंदापुर का यह पांच करोड़ का प्लांट जंग खा रहा है। ग्रामीणों में भारी आक्रोश है कि सरकारी उदासीनता ने उनके मुफ्त बिजली के हक को छीन लिया और करोड़ों की संपत्ति को कबाड़ बना दिया।
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