Waqf संशोधन बिल का कहीं समर्थन तो कहीं विरोध, ममता दीदी ने खेला मुस्लिम ट्रंप कार्ड, पढ़िए देश के हर कोने का हाल
CJI संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ मामलों की सुनवाई करेगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 10 याचिकाएं ही लिस्ट की हैं। इनमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्ला....

Protest and support about the Waqf Bill in India.
वक्फ (Waqf) संशोधन बिल के दोनों सदनों में पास होने के बाद से कई राजनेता इसके विरोध में आ गए हैं। इस बीच,ऑल इंडिया वुमेन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने वक्फ (Waqf) विधेयक 2025 का समर्थन किया है। उन्होंने कहा-हम इस बिल का स्वागत करते हैं। ये मुस्लिम समाज, विशेषकर मुस्लिम महिलाओं के हितों की सुरक्षा करेगा।
महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह विधेयक सिर्फ कानून में संशोधन नहीं है, बल्कि एक ऐतिहासिक कदम है। शाइस्ता अम्बर ने कहा-आज तक किसी भी सरकार ने मुस्लिम समाज के लिए वास्तविक काम नहीं किया। सभी ने सिर्फ वोट बैंक की राजनीति की है। ऑल इंडिया मुस्लिम वुमेन पर्सनल लॉ बोर्ड पीएम नरेंद्र मोदी का इस बिल के लिए आभार व्यक्त करती है। मुस्लिम महिलाओं के विकास को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक प्रस्तुत किया गया और इसने कानूनी रूप लिया।
- ममता दीदी विरोध में उतरीं, खेल रहीं मुस्लिम ट्रंप कार्ड
उधर, पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि नया वक्फ (Waqf) कानून पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक पश्चिम बंगाल में ममता दीदी है, मुस्लिम समुदाय की संपत्ति की रक्षा करेगी। ममता कोलकाता में जैन समाज के कार्यक्रम में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग पूछते हैं कि मैं हर धर्म के स्थानों पर क्यों जाती हूं। मैं पूरी जिंदगी जाऊंगी। चाहे कोई गोली मार दे, मुझे एकता से अलग नहीं किया जा सकता। बंगाल में धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं होगा। जियो और जीने दो यही हमारा रास्ता है।इस बयान पर भाजपा नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता फर्जी हिंदू हैं, अपनी भाषा और आचरण से उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है। मुर्शिदाबाद में हिंदुओं की दुकानों पर तोड़फोड़ की गई, पुलिस पर हमला किया गया। फिर भी ममता चुप हैं। वक्फ (Waqf) संशोधन कानून लोकसभा-राज्यसभा से पास होने के बाद 8 अप्रैल से देश में लागू कर दिया गया है। इसकी संवैधानिकता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 12 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। कोर्ट इन पर 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
- मामलों की होगी सुनवाई, 10 याचिकाएं लिस्ट की
CJI संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ मामलों की सुनवाई करेगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 10 याचिकाएं ही लिस्ट की हैं। इनमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और RJD सांसद मनोज झा की याचिकाएं शामिल हैं।
- कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने विरोध जताया था
इससे पहले भी इसे लेकर कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने विरोध जताया था, मगर सरकार ने सदनों में चर्चा करने के बाद इस पर वोटिंग करा ली, जिसमें यह कानून पास हो गया। अब कांग्रेस समेत कई पार्टियों और मुस्लिम संगठनों की तरफ से कुल 15 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दी गई हैं। इस मामले पर 16 अप्रैल को सुनवाई की जा सकती है।CJI जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ इस मामले में सुनवाई करेगी। लीगल एक्सपर्ट से समझते हैं कि क्या संसद के बनाए कानूनों की समीक्षा करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को है। क्या न्यायपालिका संसद के बनाए कानून को रद्द कर सकती है?
- पटना से लेकर भोपाल तक हो रहे प्रोटेस्ट
दूसरी तरफ, वक्फ (Waqf) कानून को लेकर देश में मचा संग्राम दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। दिल्ली से लेकर कोलकाता और पटना से लेकर भोपाल तक प्रोटेस्ट हो रहे हैं। एक तरफ विपक्ष सरकार को घेरने में लगा है तो दूसरी ओर कई मुस्लिम संगठनों का सरकार के खिलाफ मोर्चा तेज होता जा रहा है। आज से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड वक्फ (Waqf) बिल के विरोध में धरना-प्रदर्शन तेज कर दिया है। "वक़्फ़ बचाओ मुहिम" के पहले दौर का आगाज आज से हो गया है, जो 7 जुलाई तक चलेगा। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि ये मुहिम शाह बानो मामले की तरह शहर से लेकर गांव तक चलाई जाएगी।
वक्फ (Waqf) कानून के विरोध को लेकर विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि यह कानून वही है जिसको बनाने से पहले लगभग एक करोड़ भारतीयों ने अपनी राय दी थी और संसद के दोनों सदनों में 25 घंटे से अधिक ऐतिहासिक चर्चा हुई थी। इसके बावजूद देश का सेक्यूलर जिहादी गठजोड़ देश को दंगों की आग में झोंकने का कुत्सित प्रयास कर रहा है, जिससे उसे बाज आना चाहिए।
- छुटभैया से लेकर बड़े नेता दे रहे हैं बयान, कोई समर्थन में तो कोई कर रहा विरोध
धार्मिक संस्थाओं की स्थिति को लेकर बढ़ती चिंता के बीच, जम्मू और कश्मीर में वक्फ (Waqf) एक्ट पर विधानसभा में प्रस्ताव पारित न होने से निराशा का माहौल बन गया है। इस मुद्दे को लेकर पूर्व CM और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने पार्टी की वरिष्ठ नेतृत्व की एक आपात बैठक बुलाई। यह बैठक श्रीनगर स्थित महबूबा मुफ्ती के गुपकार स्थित G4 सरकारी आवास पर हुई, जिसमें पार्टी के प्रमुख नेता जैसे मोहम्मद सरताज मदनी, अब्दुल रहमान वेरी, डॉ. महबूब बेग, गुलाम नबी लोन हंजुरा, नयम अख्तर आंद्राबी, बशारत बुखारी, अब गफ्फार सोफी, एशिया नकाश, जाहूर अहमद मीर, मोहम्मद खुर्शीद आलम, वाहिद उर रहमान पर्रा, एडवोकेट मोहम्मद यूसुफ भट, इम्तियाज हुसैन शान, अंजुम फैज़ीली, मोहम्मद राशिद कुरैशी, राजिंदर मनहास, शेख नासिर, यासिर रेशी, पीर मंसूर हुसैन और अन्य नेताओं ने भाग लिया।
बैठक में वक्फ (Waqf) से जुड़े मामलों के समाधान में हो रही देरी के राजनीतिक और धार्मिक प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की गई। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, महबूबा मुफ्ती ने विधानसभा में इस मुद्दे पर चुप्पी को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा, "वक्फ (Waqf) एक्ट पर प्रस्ताव पारित न होना केवल राजनीतिक चूक नहीं है, यह हमारी धार्मिक भावनाओं और संस्थाओं की स्वायत्तता पर सीधा हमला है।"
- जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने मुसलमानों का मजमा लगाया
कोलकाता में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने मुसलमानों का मजमा लगाया। वक्फ (Waqf) के नाम पर मंच से तकरीरें हुईं और वक्फ (Waqf) कानून का मुसलमानों को डर दिखाया गया। ऐसा ही मजमा भोपाल में भी लगा है। वहीं दिल्ली में वक्फ (Waqf) कानून पर बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे की वर्कशॉप का आयोजन हुआ जिसका मकसद वक्फ (Waqf) कानून पर अफवाह खत्म करना है। मुंबई में बीजेपी ने मुस्लिम इलाकों में संवाद यात्रा निकाली। घर-घर जाकर मुसलमानों को वक्फ (Waqf) कानून के फायदे गिनाएं।
- वक्फ संशोधन कानून को लेकर BJP चला रही है जनजागरण अभियान
वक्फ संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी होने के तुरंत बाद बीजेपी ने इसे लेकर देश भर में जनजागरण अभियान चलाने का ऐलान किया है। इसके जरिए मुस्लिम समुदाय को बताया जाएगा कि यह कानून किस तरह से उनके लिए फायदेमंद है।बीजेपी ने इस अभियान के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी, अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रभारी और राष्ट्रीय मंत्री अरविंद मेनन, राष्ट्रीय महासचिव राधामोहन दास अग्रवाल और अनिल एंटनी समिति के सदस्य होंगे।
- मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने किया समर्थन
अखिल भारतीय मुस्लिम ज़मात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा, "वक्फ (Waqf) संशोधन बिल से मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं है बल्कि फायदा है। इससे गरीब मुसलमानों की मदद होगी। वक्फ (Waqf) के पीछे मंशा भी यही थी। लेकिन मंशा के मुताबिक काम नहीं हो रहा था इसलिए संशोधन किया गया। इससे भ्रष्टाचार रूकेगा। इस ज़मीन पर अस्पताल, स्कूल, कॉलेज आदि बनेंगे।।।कुछ सियासी लोग मुसलमानों को डराने और बहकाने में लगे हैं।"
- सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ (Waqf) बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को वक्फ (Waqf) (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसे दोनों सदनों में गरमागरम बहस के बाद संसद ने पारित कर दिया। एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने 6 अप्रैल को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की।
प्रेस बयान में, एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने कहा कि याचिका में संसद द्वारा पारित संशोधनों पर "मनमाना, भेदभावपूर्ण और बहिष्कार पर आधारित" होने का कड़ा विरोध किया गया है। इसमें कहा गया है कि संशोधनों ने न केवल भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है, बल्कि यह भी स्पष्ट रूप से सरकार की मंशा को दर्शाता है कि वह वक्फ (Waqf) के प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण रखना चाहती है, इसलिए मुस्लिम अल्पसंख्यकों को अपने धार्मिक बंदोबस्त के प्रबंधन से वंचित किया जा रहा है।
बोर्ड ने कहा कि शीर्ष अदालत "संवैधानिक अधिकारों का संरक्षक" होने के नाते इन "विवादास्पद संशोधनों को रद्द कर देना चाहिए, संविधान की पवित्रता को बनाए रखना चाहिए" और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों को "कुचलने" से बचाना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक अधिवक्ता एम आर शमशाद ने याचिका का निपटारा किया, जिसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड तल्हा अब्दुल रहमान, महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदी के माध्यम से शामिल थे।
- जल्द हो सकती है सुनवाई
वक्फ (Waqf) कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की गई थी। कोर्ट ने वक्फ (Waqf) कानून की संवैधानिक वैधता को चुनाती देने वाली इन याचिकाओं पर सुनवाई की सहमति दी थी। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य संगठनों की ओर से दाखिल याचिकाएं अहम हैं और इन्हें किसी भी कीमत पर प्राथमिकता देनी चाहिए। इन पर जल्द से जल्द सुनवाई होनी चाहिए।
जेडीयू के मुस्लिम नेता भी वक्फ (Waqf) बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। जेडीयू के मुस्लिम नेता हाजी मोहम्मद परवेज़ सिद्दिकी ने भी वक्फ (Waqf) संशोधन एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। हाजी मोहम्मद परवेज़ सिद्दिकी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आरक्षण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि मैं लंबे अरसे से जेडीयू के लिए काम करता रहा हूं। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि नीतीश कुमार ने किन परिस्थितियों में इस एक्ट का समर्थन किया जबकि हमने नीतीश कुमार से मिलकर उन्हें अपनी राय से वाकिफ करा दिया था। मैं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लडूंगा और जेडीयू में रहकर इस लड़ाई को जारी रखूंगा।
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