गाजीपुर आईएनए न्यूज़: दस सालो से प्रधान मंत्री आवास योजना से वांछित है मनिहारी ब्लॉक के अंतर्गत हरिहरपुर ग्राम सभा।
ग्रामीण बारिश के मौसम मे पेड़ों पर मचान बनाकर रहने को मजबूर, पेड़ो पर मचान बनाकर रह रहे ग्रामीणों की कहानी सरकार की विकास योजनाओं की पोल खोल रही है...
रिपोर्ट- महताब आलम
खबर गाजीपुर से है। जहां एक गांव के ग्रामीण बारिश के मौसम मे पेड़ों पर मचान बनाकर रहने को मजबूर नजर आ रहे है।बारिश मे जहरीले जन्तुओ से बचने के लिये इस गांव के ग्रामीण पेड़ो पर मचान बना कर रह रहे हैं।कहानी गाजीपुर के मनिहारी ब्लॉक के हरिहरपुर गांव की है।जहां पेड़ो पर मचान बनाकर रह रहे ग्रामीणों की कहानी सरकार की विकास योजनाओं की पोल खोल रही है।
ये तस्वीरे हैं गाजीपुर के मनिहारी ब्लॉक के हरिहरपुर गांव की। हरिहरपुर गांव की ये तस्वीरे बयान करती है की गांव मे सरकारी विकास के सूरज की एक भी किरण आज तक नही पहुंच पायी है।गांव मे एक भी घर पीएम आवास योजना में पक्का नही बना हुआ है।गांव के लोग अपने इन्ही कच्चे घरों और झोपड़ियों मे रहने को अभिशप्त हैं।इस गांव मे सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पीएम आवास योजना के तहत आज तक एक भी आवास नही बन पाया है।बताया जा रहा है कि गांव मे पिछ्ले 15 वर्षों से इस गांव मे आवास सम्बंधी सरकार की किसी भी योजना का लाभ एक भी ग्रामीण को नही मिल पाया है।पीएम आवास योजना के तहत लोगों को पक्का मकान उपलब्ध कराने के सरकारी दावे इस गांव के ग्रामीणों के लिये महज सपने की तरह है।गांव के ग्रामीण अपनी झोपड़ियों और कच्चे घरों मे जिन्दगी गुजर बसर करने के लिये बेबस है।ग्रामीणों की मुश्किले बारिश के मौसम मे और भी बढ़ जाती है।जब बारिश का पानी उनके कच्चे घरों मे जमा हो जाता है,और जहरीले जन्तुओं का जानलेवा खतरा मंडराने लगता है।तब ये ग्रामीण पेड़ पर मचान बना कर रहने लगते है।इस तरह पेड़ पर टंगी उनकी जिन्दगी सरकार के विकास के दावों पर एक गम्भीर सवाल खड़ा कर रही है।
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गाजीपुर के हरिहरपुर गांव मे पेड़ पर टंगी ग्रामीणों की ये जिन्दगी जहां सरकारि विकास के दावों पर गम्भीर सवाल है,वही जिले के जिम्मेदार अफसर इं तस्वीरों को ग्रामीणों की जिन्दगी की हकीकत मानने को तैयार नही है।शर्म की बात ये है की जिम्मेदार अफसरशाही ग्रामीणों की बेबस जिन्दगी को एक स्टंट बता कर गरीब ग्रामीणो का मजाक उड़ाने को ही अपनी जिम्मेदारी समझ रही है।ये अलग बात है की इस गांव मे पीएम आवास योजना के तहत एक भी आवास न बनने के सवाल का जवाब जिम्मेदारों के पास नही है।फिलहाल पेड़ पर टंगे ग्रामीण जिन्दगी की जद्दोजहद के बिच सरकार से अपने लिये आवास की फरियाद कर रहे हैं।
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