MP News: बैतूल वन परियोजना में डिप्टी रेंजर की करतूत: अतिक्रमणकारियों को संरक्षण, हजारों पेड़ों की अवैध कटाई, जंगल में खेती की जमीन तैयार।
मध्यप्रदेश के बैतूल में मध्यप्रदेश वन राज्य निगम के जंगलों के सफाया होने को लेकर हमारे द्वारा लगातार खबरें प्रकाशित कर उच्चाधिकारियों के संज्ञान में मामले ...

रिपोर्ट- शशांक सोनकपुरिया, बैतूल मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश के बैतूल में मध्यप्रदेश वन राज्य निगम के जंगलों के सफाया होने को लेकर हमारे द्वारा लगातार खबरें प्रकाशित कर उच्चाधिकारियों के संज्ञान में मामले लाये जा रहे है पर अधिकारियों की कुम्भकर्णीय नींद टूटने का नाम ही नही ले रही है वैसे तो देश के प्रधानमंत्री एक पेड़ माँ के नाम अभियान चलाकर पर्यावरण बचाने का प्रयास कर रहे है वहीं दूसरी ओर निगम की रामपुर भतोड़ी परियोजना बैतूल में तेजी से वनों की अन्धाधुंध कटाई इन अभियान को मुंह चिढ़ा रही है।
आपको बता दें कि बैतूल परियोजना के अंतर्गत आने वाली रामपुर रेंज की घोघरा बीट में सागौन प्लान्टेशनों को इस कदर सफाया हो रहा है कि आने वाले समय मे वनों का बचना भी एक बड़ा सवाल बन गया है इस रेंज में पदस्थ डिप्टी रेंजर जो कि पिछले 12 साल से अंगद के पैर की तरह यहाँ जमे हुए है रेंजर से लेकर नाकेदार के पद पर यहीं तैनात है और पूरे जंगलों के सफाया करवाने में पूरा संरक्षण माफियाओं को दे रखा है और यहाँ कभी कोई अधिकारी कर्मचारी ने आकर भी नही देखा यही कारण है डिप्टी रेंजर दुर्गेश मालवीय अपना राज रामपुर पर चला रहे है वहीं सूत्रों के हवाले से यह भी जानकारी सामने आ रही है कि एसडीओ के भी खास यही है इसीलिए इनकी रेंज में कोई कभी जाकर भी नही देखता इसके एवज में तगड़ा हिस्सा अधिकारियों को भी पहुँच जाता है तो क्यों कोई ध्यान देगा और इसी के चलते एक समय घने वन आज खत्म होने की कगार पर पहुँच गए है।
बता दें कि रामपुर रेंज की घोघरा पश्चिम बीट के कक्ष क्रमांक 520,525,526,527 में लगे प्लान्टेशनों के हजारों पेड़ों की अवैध कटाई की जा रही है और लकड़ियों को जलाने और ठिकाने लगाने का काम डिप्टी के संरक्षण में किया जा रहा है और खेती की जमीनें तैयार कर फसल लेने की फिराक में है अतिक्रमणकारी यह नजारा देखने के लिए अंदर जंगल मे जाने की आवश्यकता ही नही यह सब रोड के किनारे से ही हो रहा है इस मामले को लेकर हमारे द्वारा संभागीय प्रबन्धक से लेकर प्रबंध संचालक को बार बार कॉल किया गया पर उनके द्वारा कॉल रिसीव ही नही किया जा रहा है इससे तो यही लगता है कि सभी जिम्मदार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे है कोई भी निगम के जंगलों को बचाने का प्रयास ही नही करना चाहता है बल्कि शासन के पैसों की बंदरबांट करने में लगे हुए है।
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