चाइनीज मांझा या मौत- पतंग उड़ाना खेल नहीं अब लोगों की जान लेना और बच्चों की जान देना बन गया है।
पतंग के नाम से भी डर लगता है पतंग मानो मौत का दूसरा नाम हो गया है दिन क्या दोपहर क्या छुट्टी हुई कि बस पतंग बाजी मम्मी के डाट पापा की मार...

रिपोर्ट- शिबली इकबाल
- दिन क्या दोपहर क्या छुट्टी हुई कि बस पतंग बाजी मम्मी के डाट पापा की मार पर फिर भी पतंग उड़ाना बच्चे नहीं छोड़ते थे परंतु आज क्या हम बच्चों को पतंग उड़ाने देते हैं अगर हां तो किसी की मौत, अगर ना तो विलुप्त होता खेल।
देवबंद: कितना खूबसूरत खेल हुआ करता था किसी समय पतंग शाम हुई और बच्चे बड़े सब पतंग मिलकर उड़ाते थे एक दूसरे की पतंग काट कर उनको चीढ़ाते थे यह ऐसा खेल था जो सबसे सस्ता खेल माना जाता था पतंगबाजी राजा महाराजाओं का शौक हुआ करता था बड़े-बड़े लोग भी पतंग उड़ाते थे।
परंतु आज तो पतंग के नाम से भी डर लगता है पतंग मानो मौत का दूसरा नाम हो गया है दिन क्या दोपहर क्या छुट्टी हुई कि बस पतंग बाजी मम्मी के डाट पापा की मार पर फिर भी पतंग उड़ाना बच्चे नहीं छोड़ते थे परंतु आज क्या हम बच्चों को पतंग उड़ाने देते हैं अगर हां तो किसी की मौत अगर ना तो विलुप्त होता खेल कई दिन से लगातार घटनाएं घट रही हैं।
हालांकि यहां तक भी हो गया कि एक कांस्टेबल पुलिस वाले तक की मौत मेरठ में हो गई फिर भी कुछ लोग बच्चों की और बड़ों की जान से खेल कर चाइनीस मांझा बेच रहे हैं पर समस्या तो यह है कि यह चाइनीस मांझा हिंदुस्तान में आता कैसे हैं सरकार क्या इसे भारत में आने से रोकने पर फेल है बेचने वालों को पकड़ रही है पुलिस परंतु क्या आयत पर पुलिस रोक नहीं सकती चाइनीस मांझा प्रतिवर्ष सैकड़ो जान ले लेता है परंतु सरकार इस पर रोक क्यों नहीं लगती क्यों चीन से बात नहीं करती कि वह यह मांझा हिंदुस्तान ने भेजे क्यों बॉर्डर पर इसकी जांच नहीं होती ताकि यह हिंदुस्तान में न आए लोग मर रहे हैं और सरकार के लिए केवल गिनती है चाइनीस मांझे से इस बार कितनी मौत हुई गिनती होगी कागज बनेंगे और डब्बा गुल हो जाएगा।
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बस सरकार के लिए आम आदमी एक गिनती बनकर रह गया है करोना आएगा तो कितने मारे रोड एक्सीडेंट में कितने मरे चाइनीस मांझे में क्या हुआ परंतु सरकार चाहे तो इसको रोक सकती है आम आदमी मरने से बच सकता है बेचने वालों को पकड़ने से क्या होगा वह फिर ले आएगा। बात तो तब हो कि हिंदुस्तान में आना यह बंद हो और इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध बॉर्डर पर लगे खैर यह तो सरकार से बात चलती रहेगी सरकार ने आंखों पर पट्टी बांध रखी है माता-पिता भी इसके पूर्ण रूप से जिम्मेदार हो सकते हैं।
माता-पिता को भी चाहिए कि बच्चों को पतंग बाजी ना करने दे आज पड़ोस में भी इस बात का ध्यान रखा जाए कि बच्चा अगर पतंग उड़ा भी रहा है तो किस डोरी से पतंग उड़ा रहा है कहीं वह चीनी मंजे का इस्तेमाल तो नहीं कर रहा है दूसरे की और खुद की जान पर तो नहीं खेल रहा है मेरा तो मत यही है कि हम लोग हर चीज सरकार पर नहीं डाल सकते हमारे भी कुछ कर्तव्य हैं जिनका पालन हम बच्चों को पतंग उड़ाने न देने का कठोर फैसला लेकर किसी की जान बचाने के लिए कर सकते हैं।
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