श्रद्धा, साधना और सेवा के मार्ग से ही देवी को प्रसन्न किया जा सकता है- डां कौशलेंद्र महराज
शिवा नगर सोनहरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा एवं रूद्र चण्डी महायज्ञ की परम्परा में आध्यात्मिक ऊर्जा, वैदिक परंपरा और देवी आराधना ....

शिवा नगर सोनहरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा एवं रूद्र चण्डी महायज्ञ की परम्परा में आध्यात्मिक ऊर्जा, वैदिक परंपरा और देवी आराधना का अद्वितीय संगम बना हुआ है, जहां रूद्रचंडी महायज्ञ एवं श्रीमद् देवी भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ का आयोजन पूरे श्रद्धा, आस्था और भव्यता के साथ जारी है। वैदिक संस्कृति की पुनर्स्थापना ही मानव कल्याण का मार्ग इस अवसर पर कथावाचक डां कौशलेंद्र महराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह महायज्ञ वैदिक युग की गौरवशाली परंपराओं का पुनर्जागरण है।
उन्होंने बताया कि जब समाज वेद, यज्ञ और ऋषि परंपरा के मूल्यों को अपनाता है, तभी उसमें आध्यात्मिक जागृति और सामाजिक संतुलन संभव होताहै. उन्होंने “ऐं ” बीज मंत्र की उत्पत्ति की व्याख्या करते हुए कहा कि यह बीज मंत्र संपूर्ण ज्ञान, वाणी, बुद्धि और शक्ति का स्रोत है। गुरुदेव ने यह भी कहा कि यदि हम वर्तमान युग में वैदिक जीवन शैली को पुनः अपनाएं, तो समाज में समरसता, शांति और समृद्धि का स्वाभाविक विकास होगा।वैदिक मंत्रों की ध्वनि से गूंज उठा यज्ञ संपूर्ण वातावरण मंत्रोच्चारण और हवन की आहुतियों से दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा से भर उठा।ज्ञान यज्ञ के अंतर्गत श्रीमद् देवी भागवत के माध्यम से त्रिपुर सुंदरी की उत्पत्ति, स्वरूप और उनकी सृजनात्मक शक्ति पर विस्तृत प्रकाश डाला।
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उन्होंने बताया कि त्रिपुर सुंदरी ही आदि शक्ति का पूर्णतम स्वरूप हैं, जिनसे ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई. उन्होंने श्रद्धालुओं को त्रिपुर उपासना की विधियों, नियमों और उनके आध्यात्मिक लाभों की जानकारी दी, और बताया कि श्रद्धा, साधना और सेवा के मार्ग से ही देवी को प्रसन्न किया जा सकता है।श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़, भक्तिमय बना वातावरण इस दिव्य आयोजन में ज्योति रामगोपाल मिश्रा पवन गोस्वामी पीयूष पाण्डेय रविन्द्र पंडित आस्था मिश्रा सुनीता सिंह नीलम ओझा ऊषा शुक्ला गुड़िया यादव किरन निषाद समेत क्षेत्र से हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए यज्ञ स्थल पर श्रद्धा, आस्था और भक्ति का अद्वितीय संगम देखा गया आयोजन समिति द्वारा यज्ञ स्थल पर सभी आवश्यक व्यवस्थाएं जैसे कि पूजन सामग्री, बैठने की व्यवस्था, प्रसाद वितरण और स्वास्थ्य सुविधा सुव्यवस्थित ढंग से की गई हैं।श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए समिति का सेवा भाव सराहनीय रहा ।
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