औरैया में मां ने तीन बच्चों को नदी में डुबोकर मारा- कोर्ट ने सुनाई फांसी, प्रेमी को उम्रकैद, बेटे की गवाही बनी सबूत।
Auraiya Crime News: उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में 27 जून 2024 को एक दिल दहला देने वाली घटना में एक मां ने अपने चार बच्चों को सेंगर नदी में डुबोकर मारने ...
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में 27 जून 2024 को एक दिल दहला देने वाली घटना में एक मां ने अपने चार बच्चों को सेंगर नदी में डुबोकर मारने की कोशिश की, जिसमें तीन बच्चों की मौत हो गई। औरैया जिला अदालत ने 10 जुलाई 2025 को इस मामले में मां प्रियंका को फांसी और उसके प्रेमी आशीष उर्फ डैनी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस अपराध को कोर्ट ने ‘रेयर ऑफ रेयरेस्ट’ करार दिया, जिसमें प्रियंका ने अपने प्रेमी के उकसावे पर यह जघन्य कृत्य किया। प्रियंका का सबसे बड़ा बेटा सोनू इस घटना से बच निकला और उसकी गवाही ने इस मामले का खुलासा करने में अहम भूमिका निभाई।
27 जून 2024 को सुबह करीब 5:30 बजे, औरैया जिले के फफूंद थाना क्षेत्र के बरौआ गांव की रहने वाली प्रियंका (27) अपने चार बच्चों सोनू (8), आदित्य (7), माधव (6), और मंगल (2) को लेकर तालेपुर के पास सेंगर नदी के केशमपुर घाट पहुंची। पुलिस की चार्जशीट के अनुसार, प्रियंका ने बच्चों को पहले नशीला पदार्थ खिलाया, जिससे वे बेहोश हो गए। इसके बाद, उसने एक-एक करके बच्चों को नदी में डुबोया। सबसे पहले छोटे बच्चों को निशाना बनाया गया, ताकि वे विरोध न कर सकें। आदित्य, माधव, और मंगल की डूबने से मौत हो गई, लेकिन सबसे बड़ा बेटा सोनू मरने का नाटक करके बच निकला। उसने पास के गांव में जाकर ग्रामीणों को घटना की जानकारी दी, जिसके बाद पुलिस को सूचना मिली।
पुलिस और फोरेंसिक टीम तुरंत मौके पर पहुंची। आदित्य और माधव के शव घाट के पास बरामद हुए, जबकि मंगल का शव गोताखोरों ने कुछ घंटों बाद निकाला। पोस्टमॉर्टम में डूबने से पहले नशीले पदार्थ के सेवन की पुष्टि हुई, क्योंकि बच्चों के मुंह से झाग निकल रहा था। पुलिस ने प्रियंका को उसी दिन तालेपुर से गिरफ्तार किया और उसके प्रेमी आशीष उर्फ डैनी को औरैया शहर के बनारसीदास मोहल्ले से हिरासत में लिया। दोनों ने पूछताछ में अपराध कबूल किया।
प्रियंका की शादी इटावा के बसरेहर थाना क्षेत्र के लुईया गांव के अवनीश से हुई थी। उनके चार बेटे थे। 2020 में अवनीश की बिजली के करंट से मौत हो गई थी। इसके बाद, प्रियंका अपने चचेरे देवर आशीष उर्फ डैनी के साथ अवैध संबंध में आ गई। शुरू में वह ससुराल में रही, लेकिन गांव में बदनामी के कारण वह अपने मायके बरौआ लौट आई। बाद में, वह बच्चों और आशीष के साथ औरैया शहर के बनारसीदास मोहल्ले में किराए के मकान में रहने लगी।
आशीष एक सैलून में काम करता था और नशे की लत का शिकार था। उसकी आय कम थी, और वह बच्चों की परवरिश का खर्च उठाने को तैयार नहीं था। पुलिस के अनुसार, आशीष अक्सर प्रियंका और बच्चों के साथ मारपीट करता और कहता कि बच्चे उनकी जिंदगी में बाधा हैं। उसने प्रियंका को यह कहकर उकसाया कि अगर बच्चे नहीं रहेंगे, तो वह उसके साथ हमेशा रहेगा। प्रियंका, जो आशीष के प्यार में पूरी तरह डूब चुकी थी, ने इस बात को मान लिया और अपने बच्चों को मारने की योजना बनाई।
सोनू की गवाही के आधार पर, औरैया पुलिस ने प्रियंका और आशीष के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या), 120B (आपराधिक साजिश), और 328 (नशीला पदार्थ देकर नुकसान पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया। जांच में निम्नलिखित तथ्य सामने आए:
प्रियंका ने बच्चों को एक सस्ता नशीला पदार्थ (संभवतः नींद की गोलियां) खिलाया, जिसे उसने स्थानीय बाजार से खरीदा था।
आशीष ने हत्या की योजना में प्रियंका को उकसाया और घटना से पहले कई बार बच्चों को मारने की बात कही।
घटनास्थल से कोई प्रतिरोध के निशान नहीं मिले, क्योंकि बच्चे नशीले पदार्थ के प्रभाव में थे।
फोरेंसिक जांच में बच्चों के पेट में नशीले पदार्थ और डूबने से मौत की पुष्टि हुई।
पुलिस ने 45 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल की, जिसमें सोनू की गवाही, फोरेंसिक सबूत, और ग्रामीणों के बयान शामिल थे। प्रियंका और आशीष को औरैया जेल भेज दिया गया।
मामले की सुनवाई औरैया जिला अदालत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सैफ अहमद की अदालत में हुई। सुनवाई 1 साल और 13 दिन तक चली। अभियोजन पक्ष ने सात गवाह पेश किए, जिनमें सोनू की गवाही सबसे महत्वपूर्ण थी। सोनू ने कोर्ट में बताया कि उसकी मां और आशीष ने मिलकर उसे और उसके भाइयों को नदी में डुबाने की कोशिश की। उसने कहा, “मां ने हमें कुछ खाने को दिया, जिसके बाद मुझे नींद आने लगी। फिर उसने हमें नदी में डाला। मैंने मरने का नाटक किया और मौका देखकर भाग गया।” बच्चों के चाचा मनीष और अन्य परिजनों ने भी गवाही दी, जिसमें प्रियंका और आशीष के अवैध संबंध और बच्चों के साथ मारपीट की बात सामने आई।
10 जुलाई 2025 को, कोर्ट ने प्रियंका को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 302 (हत्या) और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई। उस पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया, जिसमें से 75% राशि सोनू की परवरिश और शिक्षा के लिए दी जाएगी। आशीष को हत्या के लिए उकसाने और साजिश में शामिल होने के लिए आजीवन कारावास और 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना न भरने पर दोनों को दो-दो साल की अतिरिक्त सजा होगी।
न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा, “यह अपराध ममता और मानवता को शर्मसार करने वाला है। एक मां का अपने बच्चों को मारना समाज के लिए अक्षम्य है। यह ‘रेयर ऑफ रेयरेस्ट’ मामला है, और ऐसी सजा जरूरी है जो समाज में एक उदाहरण स्थापित करे।” कोर्ट ने यह भी कहा कि सोनू की बहादुरी और गवाही ने इस मामले को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई।
सजा सुनाए जाने के दौरान प्रियंका ने कोई पछतावा नहीं दिखाया। उसने कोर्ट में कहा कि पति की मौत के बाद ससुराल वालों ने 5 लाख रुपये का मुआवजा और एक भैंस ले ली, जिसके कारण वह बच्चों का खर्च नहीं उठा पा रही थी। उसने आशीष पर सारा दोष डालने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर उसकी दलील खारिज कर दी। आशीष ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उसे फंसाया गया, लेकिन उसकी बात को साक्ष्यों ने गलत साबित किया।
प्रियंका के परिजनों ने मिश्रित प्रतिक्रियाएं दीं। उसकी चाची गीता ने कहा, “प्रियंका को बच्चों को हमें सौंप देना चाहिए था। हमने उसे कई बार खाना और अनाज दिया, लेकिन वह आशीष के चक्कर में थी।” चाचा कन्हैयालाल ने कहा कि वे राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करेंगे, क्योंकि प्रियंका आशीष के प्रभाव में थी। ग्रामीणों ने प्रियंका की सजा का समर्थन किया, लेकिन कुछ ने आशीष को फांसी देने की मांग की, यह कहकर कि वह इस अपराध का मुख्य उकसावकर्ता था।
सोनू अब अपनी बुआ ज्योति के साथ इटावा में रहता है। प्रियंका ने पेशी के दौरान सोनू से मिलने की इच्छा जताई, लेकिन उसकी नंद ने इसे ठुकरा दिया। X पर इस मामले को लेकर कई पोस्ट्स वायरल हुईं। एक यूजर ने लिखा, “सोनू की हिम्मत ने इस क्रूर मां को सजा दिलाई।” एक अन्य ने कहा, “ऐसी मां ममता को कलंकित करती है।” ये पोस्ट्स लोगों की भावनाओं को दर्शाती हैं, लेकिन तथ्यों की पुष्टि के लिए विश्वसनीय नहीं हैं।
यह मामला उत्तर प्रदेश में 2024 में निचली अदालतों द्वारा सुनाई गई 139 फांसी की सजाओं में से एक है। यह भारतीय न्यायिक इतिहास में उन दुर्लभ मामलों में शामिल है, जहां एक मां को अपने बच्चों की हत्या के लिए फांसी की सजा दी गई। कोर्ट का फैसला समाज को यह संदेश देता है कि बच्चों के खिलाफ हिंसा, खासकर माता-पिता द्वारा, को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह मामला अवैध संबंधों, नशे की लत, और सामाजिक दबाव के खतरनाक परिणामों को भी उजागर करता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मेंद्र मोहन प्रभाकर ने बताया कि प्रियंका इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे सकती है। अगर हाईकोर्ट सजा बरकरार रखता है, तो वह सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है। इसके बाद, वह राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर सकती है। हालांकि, साक्ष्यों की मजबूती और कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए सजा में बदलाव की संभावना कम है।
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