रीवा संजय गांधी अस्पताल की लापरवाही: एंबुलेंस चालक के कहने पर शहर में स्ट्रेचर पर मरीज को घुमाया, वीडियो वायरल होने पर जांच और कार्रवाई के आदेश।

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल से एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी। एक मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाकर

Nov 3, 2025 - 10:57
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रीवा संजय गांधी अस्पताल की लापरवाही: एंबुलेंस चालक के कहने पर शहर में स्ट्रेचर पर मरीज को घुमाया, वीडियो वायरल होने पर जांच और कार्रवाई के आदेश।
रीवा संजय गांधी अस्पताल की लापरवाही: एंबुलेंस चालक के कहने पर शहर में स्ट्रेचर पर मरीज को घुमाया, वीडियो वायरल होने पर जांच और कार्रवाई के आदेश।

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल से एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी। एक मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाकर उसके परिजन शहर की सड़कों पर घुमाते नजर आए, क्योंकि निजी एंबुलेंस चालक ने ऐसा करने की सलाह दी थी। यह पूरा नजारा किसी ने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर लिया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि एक महिला और एक पुरुष मरीज को स्ट्रेचर पर धकेलते हुए मृगनयनी चौराहे पर सड़क पार कर रहे हैं। अस्पताल में बेड या उचित सुविधा न मिलने के कारण परिजनों को यह कदम उठाना पड़ा। घटना के बाद अस्पताल प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है। यह वीडियो न केवल अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को भी उजागर करता है। रीवा जैसे शहर में जहां हजारों मरीज रोज इलाज के लिए आते हैं, वहां ऐसी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।

घटना बुधवार, 30 अक्टूबर 2025 को दोपहर के समय की बताई जा रही है। संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल रीवा का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है, जो विंध्य क्षेत्र के कई जिलों के मरीजों को सेवाएं देता है। यहां करीब 1000 बेड हैं और रोजाना हजारों लोग ओपीडी में इलाज कराने आते हैं। लेकिन अक्सर स्टाफ की कमी, बेडों की किल्लत और संसाधनों की अनुपलब्धता से मरीजों को परेशानी होती है। इस मामले में मरीज की पहचान गोपनीय रखी गई है, लेकिन बताया जा रहा है कि वह एक बुजुर्ग महिला थीं, जो सामान्य बीमारी के लिए भर्ती हुई थीं। परिजनों के मुताबिक, अस्पताल में उन्हें बेड नहीं मिला और इलाज में देरी हो रही थी। तभी एक निजी एंबुलेंस चालक ने सलाह दी कि मरीज को स्ट्रेचर पर ही बाहर ले जाकर नजदीकी प्राइवेट क्लिनिक या अन्य जगह ले जाएं, क्योंकि अस्पताल की एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी। परिजन घबरा गए और स्ट्रेचर को खुद धकेलते हुए बाहर निकल पड़े। वीडियो मृगनयनी चौराहे पर रिकॉर्ड किया गया, जहां व्यस्त सड़क पर स्ट्रेचर धकेलते हुए परिजन नजर आ रहे हैं। एक महिला स्ट्रेचर को संभाल रही है, जबकि पुरुष सड़क पार कराने में मदद कर रहा है। आसपास के लोग हैरान होकर देख रहे हैं, लेकिन कोई मदद नहीं कर पा रहा।

वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। ट्विटर और फेसबुक पर हजारों यूजर्स ने इसे शेयर किया। एक यूजर ने लिखा कि सरकारी अस्पताल में मरीज को सड़क पर घुमाना शर्मनाक है। एक अन्य ने कहा कि एंबुलेंस चालक की सलाह पर परिजन क्यों भटकें, जिम्मेदारी अस्पताल की है। वीडियो में स्ट्रेचर पर लेटी मरीज की हालत गंभीर नजर आ रही है, जो दर्शकों के दिल को छू गई। कई लोग ने टैग कर स्वास्थ्य मंत्री और जिला कलेक्टर को चेतावनी दी। वायरल वीडियो ने स्थानीय मीडिया को भी सक्रिय कर दिया। टीवी9 हिंदी और द इंडिया डेली जैसे चैनलों ने इसे प्रमुखता से दिखाया। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह पहली घटना नहीं है। पहले भी संजय गांधी अस्पताल से कई वीडियो वायरल हो चुके हैं, जैसे स्ट्रेचर पर ही इलाज करना, बिजली के पाइप पर सलाइन बोतल लटकाना या गमछे से ग्लूकोस चढ़ाना। मई 2025 में एक बुजुर्ग मरीज का स्ट्रेचर पर इलाज का वीडियो आया था, जिसमें स्टोरकीपर को निलंबित किया गया था। लेकिन ऐसी कार्रवाइयां अक्सर ठंडे बस्ते में चली जाती हैं।

अस्पताल अधीक्षक डॉ. राहुल मिश्रा ने वीडियो देखते ही प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मामला गंभीर है और हम जांच करा रहे हैं। सुरक्षा गार्डों की लापरवाही सामने आई है, क्योंकि स्ट्रेचर सहित मरीज बाहर कैसे निकल गया। डॉ. मिश्रा ने बताया कि अस्पताल में 24 घंटे सीसीटीवी कैमरे हैं, लेकिन कुछ खराब हैं। हम टेंडर जारी कर उन्हें ठीक करवा रहे हैं। उन्होंने निजी एंबुलेंस चालक के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करने की बात कही। जिला कलेक्टर आशीष वर्मा ने भी हस्तक्षेप किया। उन्होंने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई और 48 घंटे में रिपोर्ट मांगी। कलेक्टर ने कहा कि अगर लापरवाही पाई गई तो संबंधित स्टाफ पर सख्त कार्रवाई होगी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया, जहां पाया गया कि इमरजेंसी वार्ड में बेडों की कमी है। परिजनों ने बताया कि मरीज को बाहर ले जाने से पहले कई घंटे इंतजार करना पड़ा। एक परिजन ने कहा कि हम गरीब हैं, प्राइवेट अस्पताल का खर्च नहीं उठा सकते। लेकिन सरकारी जगह पर भी यही हाल है।

यह घटना मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र की कमजोरियों को उजागर करती है। राज्य में 1000 से ज्यादा सरकारी अस्पताल हैं, लेकिन स्टाफ की कमी एक बड़ी समस्या है। रीवा जैसे जिले में संजय गांधी अस्पताल पर पड़ोसी जिलों सिद्धि, सीधी और अनूपपुर के मरीज निर्भर हैं। यहां सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएं हैं, जैसे कार्डियोलॉजी और न्यूरो सर्जरी, लेकिन बेसिक चीजें जैसे बेड और एंबुलेंस की किल्लत रहती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में प्रति 1000 लोगों पर सिर्फ 0.7 डॉक्टर हैं, जो वैश्विक औसत से कम है। मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा और खराब है। पिछले साल रीवा में कई मौतें लापरवाही से हुईं। जून 2025 में एक महिला की सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में देरी से मौत हो गई, जहां स्ट्रेचर पर ही रात बितानी पड़ी। दिसंबर 2024 में अवैध पार्किंग वसूली का वीडियो वायरल हुआ। सितंबर 2024 में सुरक्षाकर्मियों और परिजनों की मारपीट की घटना हुई। ये सभी संजय गांधी अस्पताल से जुड़ी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल मॉनिटरिंग और स्टाफ ट्रेनिंग से ऐसी समस्याएं रोकी जा सकती हैं।

स्थानीय लोग इस घटना से गुस्से में हैं। ग्राम प्रधान ने कहा कि हम रोज अस्पताल जाते हैं, लेकिन सुविधाएं नाममात्र की हैं। एक अभिभावक ने बताया कि उनके बच्चे को स्ट्रेचर पर ही इंतजार करना पड़ा। विपक्षी नेता ने विधानसभा में मामला उठाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार स्वास्थ्य बजट बढ़ाए, लेकिन अमल नहीं होता। जिला प्रशासन ने तत्काल कदम उठाए। एक मोबाइल मेडिकल यूनिट भेजी गई, जहां मरीजों को प्राथमिक उपचार दिया जा रहा है। साथ ही, एंबुलेंस सेवाओं को मजबूत करने का प्लान है। निजी एंबुलेंस चालकों के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। परिजनों को मुआवजा देने की बात भी सामने आई है। सोशल मीडिया पर अभियान चल रहा है, जहां #RewaHospitalShame जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि अस्पताल में 24 घंटे हेल्प डेस्क हो।

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