Sambhal : विधायक को सौंपा ज्ञापन, ओबीसी से नाम हटाकर अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग

ज्ञापन में निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी ने 1950 की राष्ट्रपति अधिसूचना, 1961 की जनगणना मैन्युअल, 1977 के शासनादेशों और वर्तमान में विभिन्न

Aug 6, 2025 - 23:31
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Sambhal : विधायक को सौंपा ज्ञापन, ओबीसी से नाम हटाकर अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग
विधायक को सौंपा ज्ञापन, ओबीसी से नाम हटाकर अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग

रिपोर्ट : उवैस दानिश

सम्भल : निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी के लोगों ने अखिलेश कुमार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल के माध्यम से समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद को ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन मोहल्ला मियां सराय स्थित किले पर सौंपा गया। ज्ञापन में शासनादेश संख्या-117/2025/1543/26-3-2025-1690967, दिनांक 16 जून 2025 का अनुपालन सुनिश्चित कराए जाने की मांग की गई साथ ही इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की भी मांग की गई।ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि कार्मिक अनुभाग-2 की अधिसूचनाओं के अनुसार निषाद, केवट, मल्लाह, कश्यप, कहार, धीमर, बिन्द, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी, महुआ आदि जातियों को पिछड़े वर्ग (OBC) की सूची से हटाकर अनुसूचित जाति (SC) में शामिल किया गया है। बावजूद इसके तहसील स्तर पर नियम विरुद्ध इन जातियों को पिछड़ी जाति के प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं, जो कि संविधान और शासनादेश दोनों का उल्लंघन है।ज्ञापन में निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी ने 1950 की राष्ट्रपति अधिसूचना, 1961 की जनगणना मैन्युअल, 1977 के शासनादेशों और वर्तमान में विभिन्न राज्यों में अनुसूचित जाति के तहत मिल रही मान्यताओं का हवाला देते हुए कहा कि मझवार, तुरैहा, तरमाली पासी जैसी जातियों के पर्यायवाची नामों को परिभाषित किया जाए और पूरे प्रदेश में इन्हें SC प्रमाण पत्र जारी किए जाएं।इसके अतिरिक्त, ज्ञापन में उत्तराखंड की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी अधिनियम या अध्यादेश पारित कर इन जातियों को स्पष्ट रूप से अनुसूचित जाति के अंतर्गत मान्यता देने की मांग की गई।साथ ही जिला और तहसील स्तर पर इन जातियों को OBC प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने का अनुरोध किया गया। निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी ने विधायक से अनुरोध किया कि वे विधानसभा में यह मुद्दा उठाएं और संविधान सम्मत समाधान सुनिश्चित कराएं ताकि समुदाय को उनके अधिकार और योजनाओं का लाभ मिल सके। प्रतिनिधियों को विश्वास है कि विधायक उनकी पीड़ा को समझेंगे और शीघ्र कार्रवाई कराएंगे।

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