Sitapur : मधवापुर यज्ञ के अंतिम दिन ‘मनु-शतरूपा’ प्रसंग की भावपूर्ण कथा
पूर्णिमा मिश्रा ने बताया कि यह प्रसंग सिखाता है कि दुनिया की सभी चीजें आसानी से मिल सकती हैं, लेकिन भगवान के दर्शन बहुत कठिन हैं। उन्होंने चार आश्रमों में गृह
Report : संदीप चौरसिया INA NEWS सीतापुर
सीतापुर। मधवापुर में आयोजित श्री विष्णु महायज्ञ एवं विराट संत सम्मेलन के अंतिम दिन व्यास गद्दी से कथा व्यास पूर्णिमा मिश्रा ने ‘मनु-शतरूपा’ प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति के बिना संसार में कुछ नहीं हो सकता, जैसे मनु-शतरूपा ने कठोर तपस्या से भगवान के दर्शन पाए।
पूर्णिमा मिश्रा ने बताया कि यह प्रसंग सिखाता है कि दुनिया की सभी चीजें आसानी से मिल सकती हैं, लेकिन भगवान के दर्शन बहुत कठिन हैं। उन्होंने चार आश्रमों में गृहस्थ आश्रम को सबसे अच्छा बताया और कहा कि सच्चा कर्म ही इंसान की असली पूजा है।
कथा में उन्होंने संदेश दिया कि किसी भी हालत में भगवान का स्मरण नहीं छोड़ना चाहिए, यही इंसान का धर्म है। रामकथा हमें कर्तव्य, धर्म और जीवन का रास्ता दिखाती है। रोज रामायण पढ़ना अच्छा आचरण सिखाता है। भगवान की कथा से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं। जिसका जीवन कथा से दूर है, उसके जीवन में कई रुकावटें आती हैं।
समापन में मौजूद श्रद्धालुओं ने जय श्री राम के नारे लगाकर कथा का आनंद लिया।
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