छत्रपति संभाजीनगर नगर निगम: संविदा कर्मचारियों का तीन महीने से बकाया वेतन, ठेकेदार कार्यालय पर प्रदर्शन और आत्महत्या की कोशिश।

महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर, पूर्व नाम औरंगाबाद, में नगर निगम के संविदा कर्मचारियों की आर्थिक परेशानी ने चरम रूप धारण कर लिया है। पिछले तीन महीनों से वेतन न मिलने

Oct 9, 2025 - 12:36
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छत्रपति संभाजीनगर नगर निगम: संविदा कर्मचारियों का तीन महीने से बकाया वेतन, ठेकेदार कार्यालय पर प्रदर्शन और आत्महत्या की कोशिश।
छत्रपति संभाजीनगर नगर निगम: संविदा कर्मचारियों का तीन महीने से बकाया वेतन, ठेकेदार कार्यालय पर प्रदर्शन और आत्महत्या की कोशिश।

महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर, पूर्व नाम औरंगाबाद, में नगर निगम के संविदा कर्मचारियों की आर्थिक परेशानी ने चरम रूप धारण कर लिया है। पिछले तीन महीनों से वेतन न मिलने के कारण सैकड़ों कर्मचारी कर्ज के जाल में फंस चुके हैं। मंगलवार शाम को इस मुद्दे ने तीव्र रूप लिया जब एक संविदा कर्मचारी ने ठेकेदार के कार्यालय पर पहुंचकर खुद पर पेट्रोल डालकर आत्महत्या की कोशिश की। कर्मचारी ने चिल्लाते हुए कहा कि पांच महीने का बकाया वेतन दो, वरना वह खुद को और अपनी पत्नी को आग लगा लेगा। यह घटना ठेकेदार महाराणा एजेंसी के कार्यालय पर हुई, जहां कर्मचारी ने ठेकेदार के पैर पकड़कर गिड़गिड़ाए। वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन हरकत में आया। नगर निगम ने ठेकेदार को नोटिस जारी किया है, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि समस्या पुरानी है और तत्काल समाधान चाहिए। यह घटना महानगर पालिका की वित्तीय व्यवस्था और ठेकेदार प्रथा की कमजोरियों को उजागर कर रही है।

छत्रपति संभाजीनगर महानगर पालिका (सीएसएमसी) शहर का मुख्य प्रशासनिक निकाय है। यह 1982 में स्थापित हुई और 2017 में औरंगाबाद से छत्रपति संभाजीनगर नाम मिला। पालिका में करीब 1600 संविदा कर्मचारी काम करते हैं, जो सफाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य और अन्य विभागों में तैनात हैं। ये कर्मचारी निजी एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त होते हैं। महाराणा एजेंसी इनमें से एक प्रमुख ठेकेदार है। जून 2025 से पालिका ने इस एजेंसी का अनुबंध समाप्त कर दिया, लेकिन कर्मचारियों को दो अन्य एजेंसियों में समायोजित किया। फिर भी, जून 21 से जुलाई 20 और जुलाई 21 से अगस्त 20 तक के दो महीने का वेतन बकाया है। कर्मचारियों का आरोप है कि ठेकेदार पालिका से भुगतान लेने के बाद भी उन्हें पूरा पैसा नहीं दे रहे। प्रत्येक कर्मचारी का मासिक वेतन 15 से 20 हजार रुपये है, जो न मिलने से परिवार का गुजारा मुश्किल हो गया।

मंगलवार की घटना ने सबको स्तब्ध कर दिया। 35 वर्षीय संविदा कर्मचारी, जो सफाई विभाग में काम करता है, शाम को ठेकेदार के कार्यालय पहुंचा। उसके हाथ में पेट्रोल की बोतल थी। वह चिल्लाया, तीन महीने से वेतन नहीं मिला, बच्चे भूखे हैं, कर्ज चुकाने को पैसे नहीं। ठेकेदार के पैर पकड़कर रोया और बोला, साहब, मेरी पत्नी को भी बता दो, हम साथ मरेंगे। कार्यालय के स्टाफ ने किसी तरह उसे रोका। वीडियो में साफ दिख रहा है कि कर्मचारी आंसू बहाते हुए ठेकेदार के चरण स्पर्श कर रहा है। आसपास के लोग इकट्ठा हो गए। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उसे हिरासत में लिया और काउंसलिंग की। कर्मचारी ने बताया कि वह कर्ज के बोझ तले दबा है। बैंक से लोन लिया, लेकिन ब्याज चुकाने को पैसे नहीं। परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जहां हजारों लोग इसे शेयर कर रहे हैं। कई ने लिखा कि संविदा प्रथा श्रमिकों का शोषण करती है।

कर्मचारियों ने बताया कि समस्या जून से चली आ रही है। पालिका ने ठेकेदार को दो दिनों में भुगतान करने का पत्र भेजा, लेकिन अमल नहीं हुआ। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पालिका का बजट घाटे में है। कर वसूली कम हुई, जिससे ठेकेदारों को समय पर पैसा नहीं मिला। संविदा कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष ने कहा कि हम रोज सड़क साफ करते हैं, लेकिन अपना घर नहीं चला पा रहे। दीवाली नजदीक है, बोनस तक नहीं मिला। यूनियन ने चेतावनी दी कि अगर 48 घंटे में वेतन न मिला तो हड़ताल होगी। सफाई प्रभावित होगी, शहर गंदा पड़ेगा। पिछले साल नवंबर 2023 में भी 1600 कर्मचारियों ने दो महीने के बकाया वेतन और दीवाली बोनस के लिए प्रदर्शन किया था। तब भी ठेकेदारों पर कार्रवाई हुई। लेकिन समस्या बार-बार लौट आती है।

प्रशासन ने तुरंत कदम उठाए। आयुक्त ने ठेकेदार को नोटिस दिया। श्रम विभाग ने जांच शुरू की। पुलिस ने आत्महत्या की कोशिश के मामले में प्राथमिकी दर्ज की। पालिका ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि वेतन जल्द जारी होगा। लेकिन कर्मचारी संतुष्ट नहीं। एक महिला कर्मचारी ने कहा कि हमारी बेटी की फीस बकाया है, स्कूल से फोन आ रहे। पति बीमार हैं, दवा के पैसे नहीं। संविदा कर्मचारी महाराष्ट्र में लाखों हैं। कानून कहता है कि वेतन 7वें दिन देना चाहिए। लेकिन ठेकेदार देरी करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पालिकाओं को सीधे कर्मचारी रखने चाहिए, ठेकेदारों पर निर्भरता कम हो। महाराष्ट्र सरकार ने 2024 में संविदा कर्मचारियों के लिए कल्याण बोर्ड बनाया, लेकिन अमल धीमा है।

यह घटना छत्रपति संभाजीनगर की वित्तीय स्थिति को दर्शाती है। शहर ऐतिहासिक है, अजंता-एलोरा गुफाओं के लिए प्रसिद्ध। लेकिन विकास के बावजूद बुनियादी सेवाएं प्रभावित। पालिका का बजट 2000 करोड़ है, लेकिन व्यय ज्यादा। कर वसूली 60 प्रतिशत ही हो पाती। ठेकेदार कमीशन काटते हैं। कर्मचारी संगठनों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। विपक्ष ने सदन में मुद्दा उठाया। भाजपा शासित पालिका पर कांग्रेस ने लापरवाही का आरोप लगाया। आयुक्त ने कहा कि अगले सप्ताह वेतन जारी होगा। ठेकेदार पर जुर्माना लगेगा।

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