कोई दुस्साहस किया तो इतिहास-भूगोल बदल देंगे, राजनाथ सिंह ने विजयादशमी पर सर क्रीक को लेकर पाकिस्तान को दिया कड़ा संदेश
शस्त्र पूजा को राजनाथ सिंह ने भारत की सांस्कृतिक विरासत से जोड़ा। उन्होंने कहा, "शस्त्र पूजा केवल एक रस्म नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता की दर्शन है। शस्त्र हिंसा के साधन नहीं, बल्कि धर्म के उपकर
विजयादशमी का पावन पर्व हमेशा अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक रहा है। इसी अवसर पर 2 अक्टूबर 2025 को गुजरात के भुज सैन्य स्टेशन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना के साथ शस्त्र पूजा की और पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने सर क्रीक क्षेत्र में पाकिस्तान की ओर से किसी भी प्रकार के दुस्साहस को इतिहास और भूगोल बदलने वाला बताया। यह बयान न केवल सीमा सुरक्षा पर भारत की मजबूत नीति को दर्शाता है, बल्कि हाल ही में हुई ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को भी रेखांकित करता है। राजनाथ सिंह ने कहा कि 1965 के युद्ध में भारतीय सेना लाहौर तक पहुंच गई थी, लेकिन 2025 में पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची का रास्ता सर क्रीक से होकर गुजरता है। यह संदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और राष्ट्रीय सुरक्षा पर बहस छेड़ दी।
घटना गुजरात के कच्छ क्षेत्र के लक्की नाला मिलिट्री गैरीजन में हुई। राजनाथ सिंह वहां विजयादशमी मनाने पहुंचे थे। उन्होंने सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, दक्षिणी आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, 12 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आदित्य विक्रम सिंह राठी और भुज एयर फोर्स स्टेशन के एयर कमोडोर केपीएस धम के साथ शस्त्र पूजा की। पूजा के बाद एक बहु-एजेंसी एक्सरसाइज का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने सैनिकों को संबोधित करते हुए पाकिस्तान की हालिया सैन्य गतिविधियों पर निशाना साधा। सर क्रीक एक 96 किलोमीटर लंबा ज्वारीय मार्ग है, जो गुजरात के कच्छ के रण से पाकिस्तान के सिंध प्रांत को अलग करता है। स्वतंत्रता के बाद से यह विवादित क्षेत्र है, क्योंकि दोनों देशों की समुद्री सीमा की व्याख्या अलग-अलग है। भारत का मानना है कि यह नहर भूमि सीमा पर आधारित है, जबकि पाकिस्तान इसे मध्य रेखा पर।
राजनाथ सिंह ने कहा, "स्वतंत्रता के 78 वर्ष बाद भी पाकिस्तान सर क्रीक पर सीमा विवाद को हवा दे रहा है। भारत ने कई बार बातचीत से समाधान की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान की नियत में खोट है। वहां सैन्य उपकरण तैनात कर रहे हैं और विकास कार्य कर रहे हैं। सर क्रीक क्षेत्र में पाकिस्तान की ओर से कोई दुस्साहस किया गया, तो जवाब इतना कड़ा होगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे।" उन्होंने 1965 के युद्ध का जिक्र किया, जब भारतीय सेना लाहौर की सीमाओं तक पहुंच गई थी। "आज 2025 में पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची का एक रास्ता सर क्रीक से होकर जाता है। हमारी धैर्यता कमजोरी नहीं है।" यह बयान पाकिस्तान की हालिया सैन्य बुनियादी ढांचे के विस्तार के संदर्भ में आया, जो भारत के लिए चिंता का विषय है।
रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर का भी उल्लेख किया। यह ऑपरेशन हाल ही में हुआ था, जब पाकिस्तान ने लेह से सर क्रीक तक सीमा पर घुसपैठ की कोशिश की। भारतीय सेना ने इसे नाकाम कर दिया और पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली को पूरी तरह उजागर कर दिया। राजनाथ सिंह ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को संदेश दिया कि भारत की सेना पाकिस्तान को कभी भी, कहीं भी और किसी भी तरह से भारी नुकसान पहुंचा सकती है। हमने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की, युद्ध शुरू करने का उद्देश्य नहीं था। इसलिए संयम बरता।" उन्होंने सेना की संयुक्तता की सराहना की, जो इस ऑपरेशन को रिकॉर्ड समय में सफल बनाने का कारण बनी। अपग्रेडेड एल-70 एयर डिफेंस गन का भी जिक्र किया, जो पाकिस्तान के ड्रोनों और लोइटरिंग म्यूनिशन को मार गिराने में कारगर साबित हुई।
शस्त्र पूजा को राजनाथ सिंह ने भारत की सांस्कृतिक विरासत से जोड़ा। उन्होंने कहा, "शस्त्र पूजा केवल एक रस्म नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता की दर्शन है। शस्त्र हिंसा के साधन नहीं, बल्कि धर्म के उपकरण हैं। शास्त्र और शस्त्र का संतुलन हमारी सभ्यता को जीवंत और अजेय बनाए रखता है। जब भगवान राम ने रावण से युद्ध किया, तो विजय ही उद्देश्य नहीं था, धर्म की स्थापना थी।" विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हुए बोले, "यह पर्व याद दिलाता है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली लगे, अंत में धर्म की ही जीत होती है।" उन्होंने महात्मा गांधी जयंती पर भी श्रद्धांजलि दी। "गांधी जी के पास केवल इच्छाशक्ति का शस्त्र था, फिर भी उन्होंने दुनिया के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य को हरा दिया। हमारे सैनिकों के पास नैतिक बल के साथ शस्त्र भी हैं, इसलिए वे अजेय हैं।"
यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से फैला। एबीपी न्यूज, आज तक और इंडियन एक्सप्रेस जैसे चैनलों ने वीडियो शेयर किए। एक्स पर RajnathSingh और Vijayadashami ट्रेंड करने लगे। कई यूजर्स ने इसे मजबूत संदेश बताया, तो कुछ ने पूछा कि क्या यह युद्ध की धमकी है। राजनीतिक हलकों में भी चर्चा हुई। विपक्ष ने कहा कि सरकार सीमा सुरक्षा पर ध्यान दे, लेकिन भाजपा ने इसे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बताया। पाकिस्तान की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह संदेश सीमा पर तनाव कम करने के बजाय सतर्कता बढ़ाएगा।
सर क्रीक विवाद की जड़ें गहरी हैं। 1965 के युद्ध के बाद दोनों देशों ने कई दौर की बातचीत की, लेकिन समाधान नहीं निकला। पाकिस्तान का दावा है कि यह क्षेत्र समुद्री संसाधनों से भरपूर है, जबकि भारत इसे रण ऑफ कच्छ समझौते के तहत अपना मानता है। हाल के वर्षों में पाकिस्तान ने वहां नौसेना के बेस और रडार सिस्टम लगाए हैं, जो भारत के लिए खतरा हैं। राजनाथ सिंह का बयान इसी पृष्ठभूमि में आया। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत का भी जिक्र किया। "आज भारत शस्त्रों का केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता और निर्यातक भी है। हमारी सेना आधुनिक हथियारों से लैस है।" एक्सरसाइज वरुणास्त्र का भी उल्लेख किया, जो थल, वायु और नौसेना की संयुक्त क्षमता दिखाता है।
रक्षा मंत्री का यह दौरा महत्वपूर्ण था। वे सर क्रीक क्षेत्र का दौरा करने वाले थे, लेकिन खराब मौसम के कारण नहीं जा सके। फिर भी, सैनिकों के बीच विजयादशमी मनाकर उन्होंने मनोबल बढ़ाया। उन्होंने कहा, "सीमा पर तैनात जवान देश की ढाल हैं। उनकी बहादुरी से ही हम सुरक्षित हैं।" ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर सैनिकों को बधाई दी। यह ऑपरेशन पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ था, जिसमें भारत ने सटीक हमले किए। राजनाथ सिंह ने दोहराया कि भारत शांति चाहता है, लेकिन आक्रमण का जवाब देना जानता है।
यह संदेश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गूंजा। बिजनेस स्टैंडर्ड और द हिंदू जैसे अखबारों ने इसे प्रमुखता से छापा। विश्लेषकों का कहना है कि सर क्रीक पर पाकिस्तान की गतिविधियां भारत की तटीय सुरक्षा को चुनौती दे रही हैं। भारत ने जवाब में नौसेना की पेट्रोलिंग बढ़ाई है। राजनाथ सिंह का बयान न केवल चेतावनी है, बल्कि सेना की तैयारी का ऐलान भी। विजयादशमी पर यह संदेश राम-रावण के युद्ध से जोड़कर दिया गया, जो प्रतीकात्मक रूप से बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
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