जमीयत ने हमेशा मुस्लिम अल्पसंख्यकों के शैक्षिक और संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया है- मदनी
मौलाना महमूद मदनी ने शुक्रवार को जारी बयान इसे महत्वपूर्ण और दूरगामी परिणाम वाला बताते हुए कहा कि यह निर्णय उन लोगों के लिए करार जवाब है जो अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली में रुकावट....
Deoband News INA.
सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक चरित्र पर 1967 के सैयद अजीज बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया जजमेंट को खारिज कर दिया है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने फैसले का स्वागत किया और कहा कि इस निर्णय ने मौजूदा सरकार को भी आईना दिखाया है।
मौलाना महमूद मदनी ने शुक्रवार को जारी बयान इसे महत्वपूर्ण और दूरगामी परिणाम वाला बताते हुए कहा कि यह निर्णय उन लोगों के लिए करार जवाब है जो अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली में रुकावट बनी हुए थे। उन्होंने कहा कि जमीयत ने हमेशा मुस्लिम अल्पसंख्यकों के शैक्षिक और संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया है।इसका एक उदाहरण हाल ही में धार्मिक मदरसों के विरुद्ध सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा जारी नकारात्मक अभियान को रोकने का प्रयास है। इसके साथ ङी अजीज बाशा मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था। तब से जमीयत ने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ रही है। वहीं, जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक मौलाना कारी इस्हका गोरा व मुफ्ती जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया।
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