Trending: 20 रुपये में सोने का मंगलसूत्र देकर दुकानदार बना मिसाल, 93 वर्षीय दंपत्ति की प्रेम कहानी ने जीता दिल, वायरल हुआ वीडियो।
महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में 17 जून 2025 को एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि सोशल मीडिया पर लाखों दिलों ...
महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में 17 जून 2025 को एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि सोशल मीडिया पर लाखों दिलों को छू लिया। 93 वर्षीय बुजुर्ग दंपत्ति, निवृत्ति शिंदे और उनकी पत्नी शांताबाई, अपनी जमा-पूंजी 1,120 रुपये लेकर गोपिका ज्वेलर्स नामक दुकान पर सोने का मंगलसूत्र खरीदने पहुंचे। उनकी सादगी और एक-दूसरे के प्रति अटूट प्रेम को देखकर दुकान के मालिक नीलेश खिवंसरा इतने भावुक हो गए कि उन्होंने मंगलसूत्र की पूरी कीमत माफ कर दी और मात्र 20 रुपये लेकर दंपत्ति को यह अनमोल तोहफा दे दिया। इस मार्मिक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसे अब तक दो करोड़ से अधिक बार देखा जा चुका है।
- प्रेम और सादगी की अनमोल कहानी
17 जून 2025 की सुबह, छत्रपति संभाजीनगर के गजानन महाराज मंदिर क्षेत्र में स्थित गोपिका ज्वेलर्स में पारंपरिक सफेद धोती-कुर्ता और टोपी पहने 93 वर्षीय निवृत्ति शिंदे अपनी पत्नी शांताबाई के साथ पहुंचे। दंपत्ति आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर पंढरपुर की तीर्थयात्रा पर थे और शांताबाई की लंबे समय से इच्छा थी कि वह एक सोने का मंगलसूत्र पहनें। अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए निवृत्ति ने अपनी जमा-पूंजी, जो 1,120 रुपये और कुछ सिक्कों की गठरियों में थी, साथ लाई थी।
दुकान में प्रवेश करते ही कर्मचारियों को लगा कि यह दंपत्ति शायद आर्थिक मदद मांगने आया है। उनकी सादगी और पुराने कपड़े देखकर दुकानदार नीलेश खिवंसरा ने भी यही अनुमान लगाया। लेकिन जब निवृत्ति ने विनम्रतापूर्वक बताया कि वह अपनी पत्नी के लिए मंगलसूत्र खरीदना चाहते हैं और इसके लिए उनके पास 1,120 रुपये हैं, तो दुकानदार का दिल पिघल गया। निवृत्ति ने अपनी जेब से पैसे निकाले और सिक्कों की गठरियां दिखाते हुए कहा कि अगर यह राशि कम पड़े, तो वह और पैसे लाने की कोशिश करेंगे।
शांताबाई ने एक साधारण सोने का मंगलसूत्र पसंद किया, जिसकी कीमत हजारों रुपये थी। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति और एक-दूसरे के प्रति प्रेम को देखते हुए नीलेश ने फैसला किया कि वह इस दंपत्ति को मंगलसूत्र मुफ्त में देंगे। हालांकि, निवृत्ति ने पैसे देने की जिद की, जिसके बाद नीलेश ने केवल 20 रुपये (दोनों से 10-10 रुपये) आशीर्वाद के रूप में लिए और मंगलसूत्र उन्हें सौंप दिया। नीलेश ने कहा, “आपके और भगवान पांडुरंग के आशीर्वाद से हमें और मिल जाएगा। आप अपने पैसे रखें।” यह सुनकर शांताबाई और निवृत्ति की आंखें नम हो गईं, और वहां मौजूद लोग भी इस दृश्य को देखकर भावुक हो गए।
- वायरल वीडियो: सोशल मीडिया पर छाई मानवता
इस मार्मिक घटना का वीडियो दुकान के सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया, जिसे गोपिका ज्वेलर्स के इंस्टाग्राम अकाउंट (@gopikajewellers) पर शेयर किया गया। वीडियो में निवृत्ति और शांताबाई की सादगी, उनके बीच का प्रेम, और नीलेश की उदारता साफ झलक रही है। वीडियो को अब तक 2 करोड़ से अधिक बार देखा जा चुका है, और इसे @ndtvindia, @Republic_Bharat, और @AsianetNewsHN जैसे न्यूज हैंडल्स ने भी शेयर किया।
सोशल मीडिया यूजर्स ने इस घटना की जमकर तारीफ की। एक यूजर (@M__RKhan) ने लिखा, “दुकानदार का दिल वाकई सोने का है। यह मानवता की जीत है।” एक अन्य यूजर ने ट्वीट किया, “93 साल की उम्र में भी ऐसा प्यार! यह जोड़ा और दुकानदार दोनों प्रेरणा हैं।” वीडियो ने न केवल दंपत्ति के प्रेम को बल्कि नीलेश की दरियादिली को भी देशभर में चर्चा का विषय बना दिया।
- दंपत्ति की सादगी और संघर्ष की कहानी
निवृत्ति शिंदे और शांताबाई जालना जिले के अंभोरा जहांगीर गांव के एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके दो बेटे और एक बेटी थे, लेकिन एक बेटे का निधन हो चुका है, और दूसरा बेटा उनकी देखभाल करने में असमर्थ है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह दंपत्ति अक्सर धार्मिक यात्राओं पर जाता है और अपनी जिंदगी को सादगी से जीता है। वे छत्रपति संभाजीनगर के गजानन महाराज मंदिर क्षेत्र में रहते हैं और छोटे-मोटे कामों या दान से अपना गुजारा करते हैं।
इस घटना ने उनकी सादगी और एक-दूसरे के प्रति प्रेम को दुनिया के सामने ला दिया। निवृत्ति ने बताया कि शांताबाई हमेशा से एक सोने का मंगलसूत्र चाहती थीं, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ने कभी इसकी इजाजत नहीं दी। आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर अपनी तीर्थयात्रा को खास बनाने के लिए उन्होंने अपनी जमा-पूंजी से यह ख्वाहिश पूरी करने का फैसला किया।
- दुकानदार की उदारता: नीलेश खिवंसरा बने मिसाल
गोपिका ज्वेलर्स के मालिक नीलेश खिवंसरा इस घटना के बाद स्थानीय हीरो बन गए। उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया, “जब मैंने दादाजी और दादी की सादगी और प्रेम देखा, तो मेरा दिल भर आया। मैंने सोचा कि यह मंगलसूत्र उनके लिए सिर्फ एक गहना नहीं, बल्कि उनके प्यार का प्रतीक है। मैंने इसे मुफ्त में देना चाहा, लेकिन उनकी जिद को देखते हुए मैंने 20 रुपये लिए ताकि उनका आत्मसम्मान भी बना रहे।”
नीलेश की इस दरियादिली ने न केवल दंपत्ति का दिल जीता, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी दिया। उनकी दुकान, गोपिका ज्वेलर्स, जो पहले से ही स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय थी, अब इस नेक काम के लिए देशभर में चर्चा में है।
यह घटना भारतीय संस्कृति में मंगलसूत्र के महत्व को भी रेखांकित करती है। मंगलसूत्र न केवल एक आभूषण है, बल्कि विवाह और प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। 93 साल की उम्र में भी निवृत्ति और शांताबाई का एक-दूसरे के प्रति समर्पण आज की पीढ़ी के लिए एक मिसाल है। यह कहानी यह भी दर्शाती है कि प्रेम की कोई उम्र नहीं होती।
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