Politics News: हरिद्वार के BJP विधायक आदेश चौहान को CBI कोर्ट ने सुनाई 6 महीने की सजा, दहेज उत्पीड़न और अवैध हिरासत का मामला। 

हरिद्वार जिले की रानीपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक आदेश चौहान को देहरादून की विशेष CBI कोर्ट ...

May 27, 2025 - 17:32
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Politics News: हरिद्वार के BJP विधायक आदेश चौहान को CBI कोर्ट ने सुनाई 6 महीने की सजा, दहेज उत्पीड़न और अवैध हिरासत का मामला। 

हरिद्वार जिले की रानीपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक आदेश चौहान को देहरादून की विशेष CBI कोर्ट ने 26 मई 2025 को एक 16 साल पुराने मामले में छह महीने की सजा सुनाई है। यह मामला 2009 में गंगनहर थाने में अवैध हिरासत और मारपीट से जुड़ा है, जिसमें उनकी भतीजी दीपिका सिंह और तीन पुलिसकर्मियों को भी सजा मिली है। विशेष CBI मजिस्ट्रेट संदीप भंडारी ने आदेश चौहान और दीपिका को छह महीने, जबकि तीन पुलिसकर्मियों को एक-एक साल की सजा सुनाई। हालांकि, सभी दोषियों को तुरंत जमानत मिल गई, और चौहान ने इस फैसले को उच्चतर कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। इस घटना ने उत्तराखंड की सियासत में हलचल मचा दी है, और विपक्ष ने BJP की छवि पर सवाल उठाए हैं।

  • क्या है मामला?

यह विवाद 2009 में शुरू हुआ, जब आदेश चौहान की भतीजी दीपिका सिंह ने अपने ससुर धीर सिंह चौहान और उनके परिवार पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया था। दीपिका की शादी रुड़की के मनीष चौहान से हुई थी, लेकिन वैवाहिक विवाद के चलते मामला गंगनहर थाने तक पहुंच गया। शिकायत के आधार पर पुलिस ने मनीष और उनके परिवार को थाने बुलाया, जहां उन्हें कथित तौर पर 36 से 42 घंटे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया और मारपीट की गई। धीर सिंह ने आरोप लगाया कि आदेश चौहान ने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर पुलिस को प्रभावित किया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। इसके अलावा, दीपिका और आदेश पर धीर सिंह से 5 लाख रुपये, उनकी कृषि भूमि, और रुड़की में उनका मकान हस्तांतरित करने का दबाव डालने का भी आरोप है।

धीर सिंह ने यह भी दावा किया कि दीपिका ने अपने ससुर के खिलाफ झूठा दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज करने के लिए स्वयं के कलाई पर पिन से खरोंच बनाकर मेडिकल जांच कराई, ताकि झूठे सबूत बनाए जा सकें। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए धीर सिंह ने 2019 में उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद कोर्ट ने जांच CBI को सौंप दी। CBI ने अक्टूबर 2019 में तत्कालीन थाना प्रभारी आरके चमोली, सब-इंस्पेक्टर दिनेश कुमार, राजेंद्र सिंह रौतेला, और कॉन्स्टेबल संजय राम के खिलाफ FIR दर्ज की। इनमें से एक पुलिसकर्मी की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो चुकी है।

  • CBI कोर्ट का फैसला

26 मई 2025 को देहरादून की विशेष CBI कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने आदेश चौहान को अवैध हिरासत और मारपीट, जबकि दीपिका को झूठे सबूत पेश करने का दोषी पाया। तीन पुलिसकर्मियों को भी अवैध हिरासत और मारपीट के लिए एक-एक साल की सजा सुनाई गई। कोर्ट ने पाया कि पुलिस ने मनीष और उनके परिवार को बिना किसी वैध कारण के हिरासत में रखा और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। आदेश चौहान के वकील नीरज कंबोज ने बताया कि सजा की अवधि तीन साल से कम होने के कारण सभी दोषियों को तुरंत जमानत मिल गई। चौहान ने इस फैसले को सत्र न्यायालय में चुनौती देने की घोषणा की है।

  • आदेश चौहान का बयान

फैसले के बाद आदेश चौहान ने कहा कि यह मामला उनकी भतीजी से जुड़ा था, और वह केवल अपने समर्थकों के पक्ष में पुलिस से बात करने गए थे, जैसा कि राजनीतिक क्षेत्र के लोग अक्सर करते हैं। उन्होंने दावा किया कि वह इस मामले में निर्दोष हैं और उच्चतर कोर्ट में अपील करेंगे। चौहान ने यह भी कहा कि उन्हें कई BJP नेताओं का समर्थन प्राप्त है। इस फैसले ने उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल ला दिया है। आदेश चौहान, जो 2012 से रानीपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं और 2017 व 2022 में भी जीत हासिल कर चुके हैं, BJP के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। वह पहले BJP के पदाधिकारी थे और उनकी राजनीतिक यात्रा लंबी रही है। इस सजा ने उनकी छवि पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सूर्यकांत धस्माना ने BJP पर निशाना साधते हुए पूछा कि क्या पार्टी अपने “स्वच्छ राजनीति” के दावों के अनुरूप चौहान के खिलाफ कार्रवाई करेगी।

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सोशल मीडिया पर भी इस मामले ने तूल पकड़ा। X पर कई यूजर्स ने इस सजा को लेकर चर्चा की, जिसमें कुछ ने इसे BJP के लिए शर्मिंदगी का कारण बताया, जबकि अन्य ने इसे पुराना मामला बताकर इसका महत्व कम करने की कोशिश की। @hindipatrakar ने लिखा, “मनीष को पुलिस ने 42 घंटे अवैध हिरासत में रखा और आदेश चौहान ने अपनी सत्ताई ताकत का दुरुपयोग किया।” यह मामला न केवल कानूनी और सियासी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी कई सवाल उठाता है।

दहेज उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दों का दुरुपयोग और पुलिस हिरासत में दुर्व्यवहार जैसे मामले समाज में विश्वास की कमी को दर्शाते हैं। इस घटना ने एक बार फिर पुलिस सुधारों और राजनेताओं द्वारा सत्ता के दुरुपयोग पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही, यह उन पीड़ितों की आवाज को भी सामने लाता है, जो गलत तरीके से फंसाए जाते हैं। आदेश चौहान को मिली सजा ने उत्तराखंड की सियासत में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। हालांकि, जमानत मिलने के कारण उनकी विधायकी पर तत्काल कोई खतरा नहीं है, लेकिन यह मामला उनकी और BJP की छवि को प्रभावित कर सकता है। उच्चतर कोर्ट में अपील के साथ इस मामले का भविष्य तय होगा।

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