ISRO ने अन्तरिक्ष में फिर रचा इतिहास, मिशन स्पैडेक्स सफलतापूर्वक लांच
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पैडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, साथ ही लॉन्च वाहन में 24 प्रयोग भी किए गए। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 220 किलोग्राम वजनी दो...

ISRO News By INA .
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को श्रीहरिकोटा से रात 10:00 बजे एक पीएसएलवी रॉकेट के जरिए अपने Spadex मिशन (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) को लॉन्च किया। इसरो इसे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में 'एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर' बताया है। भारत ने सोमवार रात अंतरिक्ष में दो स्पेसक्राफ्ट को जोड़ने की तकनीक, जिसे स्पेस-डॉकिंग कहते हैं, इसमें महारत हासिल करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा दिया। ISRO ने 220 किलोग्राम वजन वाले दो छोटे सैटेलाइट्स को ऑर्बिट में स्थापित किया। स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) मिशन के तहत, ये उपग्रह श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से PSLV-C60 रॉकेट के जरिए रात 10 बजे के कुछ समय बाद लॉन्च किए गए।
लगभग 15 मिनट बाद, उन्हें 475 किलोमीटर की सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया। पहला सैटेलाइट प्रक्षेपण के 15।1 मिनट बाद और दूसरा 15।2 मिनट बाद अलग हुआ। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पैडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, साथ ही लॉन्च वाहन में 24 प्रयोग भी किए गए। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 220 किलोग्राम वजनी दो उपग्रहों के साथ ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) को सफलता से लॉन्च किया गया। इससे पहले, पृथ्वी के ऊपर एक ही कक्षा में अन्य उपग्रहों से टकराव से बचने के लिए प्रक्षेपण में केवल दो मिनट की देरी की गई थी। इसरो ने स्पेस की कक्षा में अंतरिक्ष यान की ‘डॉकिंग’ और ‘अनडॉकिंग’ का प्रदर्शन करने के लिए श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से दो उपग्रहों को सफलता से प्रक्षेपित किया।
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इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) द्वारा प्रबंधित, शुरुआत में, वे लगभग 10-15 किलोमीटर की दूरी तक अलग हो जाएंगे। एक बार जब यह दूरी पहुंच जाती है, तो बहाव को रोक दिया जाएगा, और ऑनबोर्ड सिस्टम पूरी तरह से जांच से गुजरेंगे। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘यह मिशन अंतरिक्ष डॉकिंग में महारत हासिल करने में सक्षम देशों की विशेष श्रेणी में भारत के प्रवेश को रेखांकित करेगा।’ ISRO चीफ एस। सोमनाथ ने प्रक्षेपण के बाद कहा, 'रॉकेट ने उपग्रहों को सही कक्षा में स्थापित कर दिया है। सैटेलाइट एक के पीछे एक चल रहे हैं। अगले कुछ दिनों में उनकी दूरी बढ़कर लगभग 20 किमी हो जाएगी, फिर हम दूरी कम करेंगे और डॉकिंग का प्रयास करेंगे। हम अगले हफ्ते डॉकिंग पूरी करने की उम्मीद कर रहे हैं। इसके लिए निर्धारित डेट 7 जनवरी है।
मुख्य डॉकिंग प्रयोग के अलावा, PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (POEM) में 24 नए पेलोड भी भेजे गए हैं। इनमें कई अभूतपूर्व प्रयोग शामिल हैं। भारत के पहले एस्ट्रोबायोलॉजी पेलोड भी इसमें शामिल हैं। आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का एक प्रयोग अंतरिक्ष में आंत के बैक्टीरिया के व्यवहार का अध्ययन करेगा। एमिटी विश्वविद्यालय का एक प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में पालक के विकास की जाँच करेगा। इस तकनीक का इस्तेमाल भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में किया जा सकता है। इनमें चंद्रमा और मंगल ग्रह के मिशन भी शामिल हैं। यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) के निदेशक एम शंकरन के अनुसार, 'चेजर' और 'टारगेट' नाम के ये दोनों सैटेलाइट शुरू में एक-दूसरे से थोड़ी दूरी पर होंगे।
अगले कुछ दिनों में, सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से ये उपग्रह एक-दूसरे से और दूर जाएंगे। इसके बाद ISRO उन्हें जोड़ने का प्रयास करेगा। स्पैडऐक्स मिशन अंतरिक्ष शोध में भारत के भविष्य के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित होने की उम्मीद है। जिसमें पृथ्वी पर चंद्रमा से चट्टानें और मिट्टी लाना, प्रस्तावित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा की सतह पर एक अंतरिक्ष यात्री को उतारना शामिल है। अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने ही अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल की है। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि ‘स्पैडऐक्स मिशन का प्राथमिक उद्देश्य दो छोटे अंतरिक्ष यानों (एसडीएक्स-एक, जो कि चेजर है, और एसडीएक्स-दो, जो कि लक्ष्य है) के पृथ्वी की निचली वृत्ताकार कक्षा में संयोजन ‘डॉकिंग’ और ‘अनडॉकिंग’ के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी का विकास और प्रदर्शन करना है।’
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