Special On Friendship Day: मित्रता: आत्मा का व्याकरण है- डॉ. बीरबल झा

मित्रता वह भाषा है जिसे सीखने के लिए कोई पाठ्यक्रम नहीं चाहिए। यह दिलों से दिलों तक पहुँचती है। शब्दों की मोहताज नहीं होती एक नज़र, एक स्पर्श, एक मौन काफी हो

Aug 4, 2025 - 01:05
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Special On Friendship Day: मित्रता: आत्मा का व्याकरण है- डॉ. बीरबल झा
प्रतीकात्मक चित्र

इस बदलते दौर में जहाँ संबंध तात्कालिक हैं और संवाद वर्चुअल, वहाँ मित्रता अब भी दिल से दिल तक की सबसे सशक्त डोर बनी हुई है। सच्ची मित्रता आत्मा का व्याकरण है यह हमारे भावों को संरचना देती है, दिलों को जोड़ती है और शब्दों के बिना संवाद करती है। यह वाक्य केवल काव्यात्मक नहीं, जीवन का गूढ़ सत्य है। मित्रता न तो समय की मोहताज है, न किसी रस्म की। यह वह भावना है जो न दिखावे से बंधी होती है, न स्वार्थ से। आज जब रिश्ते औपचारिक और व्यस्तताओं से बोझिल हो चले हैं, मित्रता वही है जो हमें इंसान बनाए रखती है।

  • आत्मीयता का आधार

मित्रता केवल हँसी-मजाक या सैर-सपाटे का नाम नहीं है। यह वह मौन समझ है जो बिना बोले सब कह जाती है। एक सच्चा मित्र वह होता है जो हमें तब भी समझे जब हम खुद को नहीं समझ पा रहे हों। वह हमारे साथ चलता है खुशियों में भी, दुख की परछाइयों में भी। मैंने भाषा शिक्षण और सामाजिक अभियानों के वर्षों में महसूस किया है कि मित्रता वह शक्ति है जो आत्मबल देती है। यह जीवन की पाठशाला में वह अध्याय है जो हर किसी को पढ़ना चाहिए।

  • सीमाओं से परे

आज जब दुनिया धर्म, जाति, राजनीति और सीमाओं के नाम पर खंडित है, तब मित्रता सबसे बड़ा सेतु बन सकती है। जहां दीवारें उठ रही हों, वहां मित्रता पुल बनती है। मित्रता केवल दो व्यक्तियों को नहीं, दो संस्कृतियों, दो विचारधाराओं और दो दिलों को जोड़ सकती है। यह विभाजन नहीं, मिलन सिखाती है।

  • सामाजिक पूंजी

हम अर्थव्यवस्था की ताकत आंकते हैं, पर समाज की असली ताकत मित्रता में निहित होती है। यह वह सामाजिक पूंजी है जो समय के साथ घटी नहीं, बल्कि करुणा, विश्वास और साथ से बढ़ती है। मित्रता एक निवेश है भावनाओं में, भरोसे में, और जीवन के अर्थ में। एक अच्छा मित्र किताब की तरह होता है हर बार पढ़ो तो कुछ नया समझ आता है। यह रिश्ता व्यापार नहीं, एहसास है।

  • भावों की भाषा

मित्रता वह भाषा है जिसे सीखने के लिए कोई पाठ्यक्रम नहीं चाहिए। यह दिलों से दिलों तक पहुँचती है। शब्दों की मोहताज नहीं होती एक नज़र, एक स्पर्श, एक मौन काफी होता है। शब्दकोश मित्रता को परिभाषित कर सकता है, पर उसे जीना केवल इंसान जानता है। एक छोटी सी करुणा, एक समय पर दी गई सलाह, एक साथ बैठी चाय यही हैं असली दोस्ती के रूप।

  • मित्रता दिवस का सार

इस मित्रता दिवस पर मेरा आग्रह है इसे केवल एक तारीख बनाकर न छोड़ें।मित्रता को अपने जीवन की नवीन परंपरा बनाएं। उन दोस्तों को याद करें जिन्होंने बिना कहे आपका दर्द बाँटा। उन रिश्तों को समय दें, जो किसी उपकार नहीं, बल्कि अपनत्व से जुड़े हैं। मित्रता में वह शक्ति है जो आपको गिरने से रोकती है और उठने की प्रेरणा देती है। वह आईना है जिसमें आप खुद को साफ देख सकते हैं बिना किसी मुखौटे के।

अंत में आज के यांत्रिक जीवन में अगर कोई रिश्ता आपको इंसान बनाए रखता है, तो वह है मित्रता। यह वह संबंध है जो न उम्र देखता है, न जात। न धन, न पद। यह केवल दिल देखता है। आइए, इस मित्रता दिवस पर संकल्प लें मित्रता केवल उत्सव नहीं, आदत बने। दिखावा नहीं, दिल से निभाई जाए। संपर्कों से नहीं, सच्चाई से जुड़ी हो। मित्रता एक तारीख नहीं, जीवन भर का वादा हो।

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