Hardoi: रामलीला के मंच से बही भारत भूमि की वीरता की रसधार, देशभक्ति के जज्बे ने भरा रोमांच

वास्तव में सोरठा, छंद, दोहा, चौपाई, गीत गजलों से कभी श्रोतागणों के नेत्र सजल हो गए तो कभी ठहाके खूब ठीकठाक लगे और कभी श्रोताओं में भी ऐसा जोश दृष्टव्य हुआ कि वह कवि की कविता की किसी न किसी प्रेणादायी पंक्ति पर ताल ठोंकने लगे।

Oct 2, 2024 - 22:11
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Hardoi: रामलीला के मंच से बही भारत भूमि की वीरता की रसधार, देशभक्ति के जज्बे ने भरा रोमांच

मुख्य अतिथि के रूप में पी0के0 बर्मा और विशिष्ट अतिथि रहे त्रिपुरेश मिश्र

Shahabad- Hardoi News INA.

रामलीला के मंच से कवियों और कवियत्रियों ने जब भरी हुंकार तो धरा गगन तक गूंजी देशभक्ति की ललकार और इसी बीच अयोध्या से पधारे कवि दुर्गेश पाण्डेय ने अपनी माटी की संस्कृति संस्कारों का बखान करते हुए देश के गद्दारों को साहित्यिक भाषा में ललकारा तो ऐसा आभाष हुआ कि जैसे रामलीला पठकाना के रंग मंच पर सम्पूर्ण भारत की वीरता उतर आई हो और फिर अयोध्या के कवि के क्रम में जब स्थानीय कवि एवं रामलीला मेला मीडिया प्रभारी व कवि सम्मेलन के संयोजक ओमदेव दीक्षित ओम "अजीब" शाहाबादी ने देशभक्ति की हुंकार भरी तो जहाँ मंच की ऊँचाई बहुत अधिक बढ़ गई और फिर मंच से नीचे तक सभा मध्य भारत माता के जयकारों से सम्पूर्ण वातावरण गुंजायमान हो उठा।
वास्तव में सोरठा, छंद, दोहा, चौपाई, गीत गजलों से कभी श्रोतागणों के नेत्र सजल हो गए तो कभी ठहाके खूब ठीकठाक लगे और कभी श्रोताओं में भी ऐसा जोश दृष्टव्य हुआ कि वह कवि की कविता की किसी न किसी प्रेणादायी पंक्ति पर ताल ठोंकने लगे। कभी श्रंगार रस की ऐसी रसधारा वही कि प्रेमाकुल लोगों ने प्रफुल्ल होकर तालियां बजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और फिर रही सही कसर वीर रस के कवियों ने ऐसी पूरी की कि श्रोतागण रावण, मेघनाद, अर्जुन, कर्ण, अभिमन्यु कुम्भकर्ण की भांति रण करने हेतु आतुर प्रतीत होने लगे।


इतना ही नहीं जब कवियत्रियों की कोकिली बोली खासकर युवाओं के कानों में मिश्री घोलने लगी तो तालियों की तड़तड़ाहट से ज्यों ज्यों रामलीला मैदान की पावन वसुंधरा भावविभोर हुई त्यों त्यों कवियत्रियों ने अति उत्साही होकर उनके हृदयनांतर तक को छुछुआ डाला। इसी क्रम में हास्य के सशक्त हस्ताक्षरों ने जब मंच से हास्य गंगा, गोमती तथा समुन्द्र जैसी रसधार छोड़ी तो हँसते हँसते श्रोताओं बांन्छे चौड़ी हो गईं।

अयोध्या धाम से पधारे कवि उपरोक्त ने उपरोक्त के कुछ इस तरह अपना और अपनी माटी का परिचय दिया कि 


"साहित्य जहाँ की सरयू है नदियों से माँ का नाता है।
हम उसको देव समझते हैं जो अतिथि यहाँ पर आता है"।।
उन्हीं की तर्ज पर स्थानीय कवि ओम अजीब शाहाबादी उपरोक्त ने पढ़ा कि "
यह आर्यावर्त हमारा है,
हम सब इसके सेनानी हैं।
भारत के वीर सपूतों की,
ऐतिहासिक अमर कहानी है"।।
उन्होंने स्वाभिमान पूर्ण प्रेम का अंदाज भी कुछ इस तरह प्रस्तुत किया कि —
"प्यार के पहल करना भी गवारा हम नहीं करते।
नजर जो फेर ले उसको, पुकारा हम नहीं करते।।
हमें तो देखकर खिंचतीं चली आतीं हैं सुंदरियाँ,
कसम से मान लो इनको, इशारा हम नहीं करते"।।

इसी क्रम में बरेली की वसुंधरा से पधारे कवि कमलकांत  तिवारी ने पढ़ा कि नादिरशाही सत्ता से बदले चौरासी ले लेंगे। एक एक घातों का बदला भारतवासी ले लेंगे।।
इसी क्रम में लखीमपुर से आविर्भूत मंच संचालक सुनीत वाजपेयी ने पढ़ा कि 


"प्राण गंवाकर हमने पाई थी जो अब वह शान कहां।
विश्व पटेल के मानचित्र पर पहले जैसा मन कहां।।
इसी श्रंखला को आगे बढ़ाते हुए लखनऊ से मंच को चकाचौंध करती हुईं हेमा पाण्डेय ने प्रेम गीत कुछ इस तरह पढ़कर सात जन्मो तक के सम्बंधों को संजोने का प्रयास किया कि —
"पग महावर लगाया तुम्हारे लिए।रूप मैंने सजाया तुम्हारे लिए।।
सात जन्मों तलक तुम हमारे रहो, चांद को जल चढ़ाया तुम्हारे लिए"।।
 इसी श्रंखला में स्वाति ने पढ़ा कि -
"नजरें चाहतीं है दीदार तुम्हारा। दिल चाहता है, बस प्यार तुम्हारा"।।
 मैगलगंज खीरी से पधारे कवि अरविंद कुमार नेअपनी अतृप्ति का कुछ इस तरह वर्णन किया कि - "
नेकियों सी मिलो, या बदी सी मिलो।
एक पल का करूं क्या, सदी सी मिलो।।
तृप्ति मिलती नहीं, बूंद दो बूंद से,
रेत सी प्यास हूं, तुम नदी सी मिलो।।


इसी क्रम में सीतापुर मिश्रित की धरती से पधारे कवि शुभम शुक्ला ने प्रेयसी से अधिक महत्व माँ को देते हुए कुछ इस तरह पढ़ा कि -


"तुम जरूर हो मेरी मगर, मेरी जां से ज़ियादा नहीं हो।
 तुम बहुत खूबसूरत हो लेकिन, मेरी मां से ज़ियादा नहीं हो"।।
इसी क्रम में अपने जनपद हरदोई की धरती से पधारे कवि अजीत शुक्ल ने पारिवारिक परिस्थितियों पर कुछ इस तरह कटाक्ष किया कि 
" पिता से उनकी पाई पाई बांट लेते हैं। दर ओ दीवार चारपाई बांट लेते हैं।।
इतने खुदगर्ज हो गए हैं अब बेटे, पहचान देने वाले से परछाई बांट लेते हैं।।"
इसी क्रम में लखीमपुर खीरी से आए कवि विशेष शर्मा ने आजकल की बेटियों पर कुछ इस तरह कटाक्ष किया कि — "बिटिया को वस्त्र भोजन भरपेट चाहिए। लड़ती न झगड़ती है भले लेट चाहिए।।
सीधी गऊ सामान कुछ न मांगती है बस। मोबाइल ठीक -ठाक इंटरनेट चाहिए।।

जिलापंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि पी0के0 बर्मा के मुख्य आतिथ्य और ब्लॉक प्रमुख त्रिपुरेश मिश्र के विशिष्ट आतिथ्य में गाँधी जयंती की पूर्व रात्रि में रामलीला मेला मंच मोहल्ला पठकाना पर स्वर्गीय क्षत्रपाल मिश्र क्षणिक की स्मृति में विराट कवि सम्मलेन सम्पन्न हुआ। जिसमें माँ सरस्वती एवं क्षणिक जी की प्रतिमा पर पी0के0 बर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। तदुपरान्त आमंत्रित अतिथि त्रिपुरेश मिश्रा ने भी दोनों प्रतिमाओं पर पुष्पांज्जलि अर्पित कर प्रणाम किया। दोनों अतिथियों का श्री रामलीला मेला समिति के विधिक सलाहकार एवं अधिवक्ता संघ अध्यक्ष रामजी तिवारी तथा समिति के महामंत्री अनमोल गुप्ता समेत कवि सम्मलेन के संयोजक डॉ0 पुनीत मिश्रा, ऋषि कुमार मिश्रा, मधुप मिश्रा, पुष्पेंद्र मिश्रा, आशीष मोहन तिवारी आदि ने माल्यार्पण कर न केवल स्वागत किया बल्कि रामलीला मेला समिति ने दोनों अतिथियों को स्मृतिचिन्ह देकर सप्रेम भेंट की। अपने अभिभाषण में दोनों अतिथियों ने समिति सहित सभी को शुभकामनायें प्रदान करते हुए अपनी भूमिका का निर्वहन किया और कार्यक्रम में काफी समय दिया।

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