Sambhal : रामभद्राचार्य के बयान पर सम्भल के धर्मगुरु का पलटवार, कहा – इस्लाम की जानकारी बिना बयानबाजी न करें
मौलाना मोहम्मद मियां ने कहा कि रामभद्राचार्य ने कुछ अखबारों में पढ़ी घटनाओं और अधूरी कहानियों के आधार पर इस्लाम के खिलाफ बयान दिया, जो सही न
Report : उवैस दानिश, सम्भल
सम्भल : रामभद्राचार्य द्वारा मुस्लिम महिलाओं को लेकर दिए गए बयान पर सम्भल के मशहूर धर्मगुरु मौलाना मोहम्मद मियां ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मौलाना ने कहा कि रामभद्राचार्य न तो इस्लाम के विद्वान हैं और न ही उन्हें इस्लाम के बारे में कोई गहरी जानकारी है। ऐसे में उन्हें इस्लाम या मुस्लिम समाज पर तफ़सीरा (व्याख्या) करने का कोई हक नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि रामभद्राचार्य एक खास नज़रिये और तास्सुब (पक्षपात) की ऐनक लगाकर मुसलमानों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।
मौलाना मोहम्मद मियां ने कहा कि इस्लाम, कुरान और हदीस का गहराई से अध्ययन करने के बाद ही इस्लाम पर कोई बात करनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कुछ जगहों पर मुस्लिम महिलाओं के साथ ज्यादती की घटनाएं सामने आई हैं, तो वह इस्लाम की शिक्षाएं नहीं बल्कि समाज की बुराइयां हैं। भारत के समाज में लंबे समय से महिलाओं को उनके पूरे अधिकार नहीं मिले, जिसकी वजह से कई बुराइयां अलग-अलग समुदायों में देखने को मिलती हैं।
मौलाना ने कहा कि इस्लाम एक महान मजहब है जिसने सबसे पहले औरतों को मुकम्मल अधिकार दिए। 1400 साल पहले इस्लाम ने महिलाओं को जायदाद में हक देने का प्रावधान किया, जबकि ईसाई धर्म में यह हक 200 साल पहले दिया गया। भारत में आज भी महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए कानून बनाने की कोशिश की जा रही है। यह इस्लाम की महानता है कि उसने उस दौर में ही औरतों को सम्मान और बराबरी का दर्जा दिया था जब दुनिया के अन्य समाज महिलाओं को अधिकार देने की कल्पना भी नहीं कर रहे थे।
मौलाना मोहम्मद मियां ने कहा कि रामभद्राचार्य ने कुछ अखबारों में पढ़ी घटनाओं और अधूरी कहानियों के आधार पर इस्लाम के खिलाफ बयान दिया, जो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि इस्लाम की सही समझ के बिना बयानबाजी करने से समाज में नफरत फैलती है और मुल्क का कोई फायदा नहीं होता। मौलाना ने उन्हें सलाह दी कि पहले कुरान और हदीस का गहराई से अध्ययन करें और फिर इस्लाम पर अपनी राय रखें। उन्होंने कहा कि बगैर जानकारी और तस्सुब के आधार पर कही गई बातों का कोई वजन नहीं होता और यह केवल अफवाहें फैलाने जैसा है।
मौलाना ने अंत में कहा कि इस्लाम सभी के अधिकारों की रक्षा करने वाला मजहब है और मुस्लिम महिलाओं को इसमें पूरा सम्मान और हक दिया गया है। समाज को एक-दूसरे पर आरोप लगाने के बजाय आपसी भाईचारे और समझदारी से रहना चाहिए।
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