Hardoi News: सावधानी ही है लू और गर्मी से बचाव, थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. धीरेन्द्र कुमार ने बताया कि तेज धूप और लू के चलते सावधानी बरतने की जरूरत है इस प्रचंड गर्मी और...
Hardoi News: मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. धीरेन्द्र कुमार ने बताया कि तेज धूप और लू के चलते सावधानी बरतने की जरूरत है इस प्रचंड गर्मी और लू से सावधानी बरतकर ही बचा जा सकता है। थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है । बचाव के लिए .जब भी घर से निकलें तो नाश्ता करके निकलें । बाहर निकलते समय सिर को गीले कपड़े से ढंके, छाता और धूप का चश्मा लगायें क्योंकि आँखें सूरज की रोशनी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं।
पानी की बोतल अवश्य साथ में रखें, सूती हलके रंग के और पूरी बांह के कपड़े पहने,.शरीर को हाइड्रेट करने के लिए खूब पानी पीयें, ठंडे पानी से नहायें, ताजा खाना खाएं, थोड़ी-थोड़ी देर में नीबू पानी, तरबूज,खरबूजा, खीर, ककड़ी, ओआरएस छांछ, मट्ठा, आम पना, लस्सी आदि का सेवन करें । पाचन दुरुस्त रखने के लिए प्रोबायोटिक्स लें खुले हवादार कमरे में रहें। घर/कार्यस्थल पर सूर्य की सीधी रौशनी से बचने के लिए पर्दे लगायें। जानवरों को छायादार स्थानों पर रखें। लू से बच्चों, बीमार, बुजुर्गों, गर्भवती, मजदूरों और फील्ड पर काम करने वालों ज्यदा खतरा है इसलिए इनका विशेष ध्यान रखें।
लू से बचने के लिए दोपहर 12 से चार के मध्य घर से बाहर न निकलें । बंद व अधिक गर्म स्थान वाले स्थान पर खाना न बनाएँ। घर से बाहर जाते समय तंग, छोटे व गहरे रंग के कपड़े न पहने .अत्यधिक धूप/गर्मी में काम न करें। हाईड्रेशन के लिए शराब, एनर्जी और शुगरी ड्रिंक,चाय कॉफ़ी,कार्बाेनेटेड ड्रिंक के सेवन से बचें। अत्यधिक प्रोटीनयुक्त व बासी भोजन का सेवन न करें। बाहर के खाने से बचें । .बाहर खुले में बिकने वाले कटे फल न खाएं। धूप में खड़ी गाड़ियों में बच्चों और जानवरों को अकेला न छोड़ें।
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नंगे पैर घर से बाहर न निकलें, हीट स्ट्रोक या लू लगने के लक्षण होने पर तेज बुखार जिसमें तापमान 104 डिग्री फारेनहाईट या इससे ज्यादा चला जाता है बेहोशी आ जाती है, मरीज कोमा में भी जा सकता है इसके अलावा चक्कर आना, सिर में दर्द, उलटी आना, कमजोरी, थकान, कन्फ्यूजन होना, गाढ़े रंग का पेशाब होना, मांसपेशियों और पेडू में अकड़न होना आदि हीट स्ट्रोक के लक्षण दिखने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएँ। यह बहुत ही जरूरी है कि हीट स्ट्रोक, हीट रैश और हीट क्रैम्प के लक्षणों के बारे में पता हो जिससे कि समय से इसका प्रबंधन किया जा सके।
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