Hardoi : शहरी क्षेत्र सहित 15 ब्लाक में 10 से 28 अगस्त तक चलेगा आईडीए अभियान, घर-घर जाकर लक्षित लाभार्थियों को खिलाई जाएगी फ़ाइलेरियारोधी दवा

फ़ाइलेरिया के प्रसार का पता लगाने के लिए जून में नाईट ब्लड सर्वे किया गया था जिसमें इन 15 ब्लाक में माइक्रोफ़ाइलेरिया रेट एक प्रतिशत से अधिक निकला। इसलि

Jul 26, 2025 - 00:19
 0  25
Hardoi : शहरी क्षेत्र सहित 15 ब्लाक में 10 से 28 अगस्त तक चलेगा आईडीए अभियान, घर-घर जाकर लक्षित लाभार्थियों को खिलाई जाएगी फ़ाइलेरियारोधी दवा
शहरी क्षेत्र सहित 15 ब्लाक में 10 से 28 अगस्त तक चलेगा आईडीए अभियान

Hardoi : राष्ट्रीय फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत शहरी क्षेत्र सहित कुल 15 ब्लॉक में 10 से 28 अगस्त तक सर्वजन दवा सेवन(आईडीए) अभियान चलेगा जिसके तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लक्षित लाभार्थियों को फाइलेरियारोधी दवा आईवरमेक्टिन, डाईइथाईलकार्बामजीन और एल्बेंडाजोल खिलाएँगी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि सरकार ने साल 2027 तक फ़ाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है जिसके लिए सभी को प्रयास करने हैं। जनपद में शहरी क्षेत्र और 19 ब्लाक हैं जिसमें चार ब्लाक, शाहाबाद, कछौना, भरेंदर और सुरसा में फ़ाइलेरिया रोधी दवा नहीं खिलाई जायेगी क्योंकि यहाँ पर फ़ाइलेरिया का प्रसार दर कम है वहीं अन्य 15 ब्लाक-अहिरौरी, बावन, भरखनी, भरावन, बिलग्राम, हरियावां, हरपालपुर, कोथावां, माधोगंज, मल्लावां, पिहानी सांडी, संडीला, टोडरपुर, टड़ियावां और शहरी क्षेत्र में आईडीए अभियान चलेगा।

फ़ाइलेरिया के प्रसार का पता लगाने के लिए जून में नाईट ब्लड सर्वे किया गया था जिसमें इन 15 ब्लाक में माइक्रोफ़ाइलेरिया रेट एक प्रतिशत से अधिक निकला। इसलिए यह अभियान चल रहा है। हम इस बात का प्रयास करें कि सभी लक्षित लाभार्थी दवा का सेवन करें यदि एक भी व्यक्ति दवा सेवन से वंचित रह जाता है तो वह संक्रमण फैला सकता है क्योंकि फ़ाइलेरिया का मच्छर काटने के पांच से 15 साल बाद इसके लक्षण दिखायी देते हैं तब तक वह स्वस्थ व्यक्तियों को अनजाने में संक्रमित कर चुका होता है। उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल अधिकारी डॉ. सुरेन्द्र ने बताया कि अभियान के तहत एक साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोड़कर सभी को दवा का सेवन करना है।

एक साल से कम आयु के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली पीसकर खिलाई जाएगी जबकि एक साल से उपर के बच्चों और वयस्कों को भी पीसकर या चबाकर ही खानी है। आईवरमेक्टिन लम्बाई के अनुसार खिलाई जाएगी। दवा खाली पेट नहीं खानी है। नोडल अधिकारी ने कहा कि लोगों को बताएं कि यह बीमारी लाइलाज है और मच्छर के काटने से होती है इस बीमारी से बचने का उपाय फ़ाइलेरियारोधी दवा का सेवन करना है और मच्छरों के काटने से बचना है आईडीए अभियान के तहत लगातार तीन साल तक दवा का सेवन कर बीमारी से बचा जा सकता है। कुछ लोगों को दवा सेवन के बाद चक्कर आना, जी मितलाना, चकत्ते पड़ना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके बारे में पहले से ही समुदाय को अवगत कराएँ कि यह समस्या नहीं बल्कि शुभ संकेत हैं क्योंकि यह उन्हीं व्यक्तियों में दिखाई देते हैं जिनके शरीर में माइक्रोफ़ाइलेरिया या कृमि होते हैं।

फ़ाइलेरियारोधी दवा खाने से इन माइक्रोफ़ाइलेरिया के मरने से यह लक्षण सामने आते हैं। जिला मलेरिया अधिकारी जीतेन्द्र कुमार ने बताया कि यह दवायें न केवल माइक्रोफ़ाइलेरिया को खत्म करती हैं बल्कि पेट से कीड़ों को भी निकालती हैं। दवा आशा कार्यकर्ता सामने ही खिलाएँगी बाद में खाने के लिए किसी को भी नहीं देंगी। दवा सुरक्षित है और विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमाणित है। दवा सेवन के बाद कोई भी समस्या होती है तो आशा कार्यकर्ता से सम्पर्क करें या निकटम स्वास्थ्य केंद्र पर जाएँ। फाइलेरिया के लक्षणों मे शुरुआत में ठंड के साथ बुखार आ सकता है। शरीर के लटकने वाले अंगों-हाथ, पैर, पुरुषों के अंडकोष या महिलाओं के स्तनों में असामान्य सूजन। सूजन आमतौर पर एक ही अंग में होती है, दोनों में समान नहीं। मूत्र मार्ग से सफेद रंग का द्रव आना (ग्रामीण क्षेत्रों में श्धात रोगश्) जिसे चिकित्सा भाषा में काइलूरिया कहते हैं। लंबे समय तक रहने वाली सूखी खांसी भी फाइलेरिया का लक्षण हो सकती है (ट्रॉपिकल इस्नोफीलिया)।

Also Click : Hardoi : अपर जिलाधिकारी ने जाना सीएचसी में भर्ती छात्राओं का हाल

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow