प्राकृतिक खेती से सीतापुर बनेगा रसायन-मुक्त कृषि का मॉडल- कम लागत, अधिक मुनाफा दिलाने वाली तकनीक है प्राकृतिक खेती। 

Sitapur: राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र कटिया, सीतापुर द्वारा जनपद के विभिन्न विकासखण्डों में एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन

Sep 1, 2025 - 21:15
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प्राकृतिक खेती से सीतापुर बनेगा रसायन-मुक्त कृषि का मॉडल- कम लागत, अधिक मुनाफा दिलाने वाली तकनीक है प्राकृतिक खेती। 
प्राकृतिक खेती से सीतापुर बनेगा रसायन-मुक्त कृषि का मॉडल- कम लागत, अधिक मुनाफा दिलाने वाली तकनीक है प्राकृतिक खेती। 

Sitapur: राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र कटिया, सीतापुर द्वारा जनपद के विभिन्न विकासखण्डों में एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें प्रत्येक क्लस्टर से 125 चयनित कृषकों ने सहभागिता की। मिस्रिख विकासखण्ड के भिठौली एवं नरसिंह होली क्लस्टर में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि “प्राकृतिक खेती न केवल लागत को कम करती है बल्कि मिट्टी और जल की गुणवत्ता को भी सुधारती है। यदि किसान इस पद्धति को निरंतर अपनाएँ तो सीतापुर जनपद को रसायन-मुक्त खेती के लिए पूरे प्रदेश में पहचान दिलाई जा सकती है।”

विकासखण्ड कसमंडा के मानपारा क्लस्टर में पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. आनन्द सिंह ने कहा कि “पशुपालन प्राकृतिक खेती का आधार है। गोमूत्र और गोबर से तैयार जीवामृत, घनजीवामृत तथा अन्य जैविक उत्पाद खेती की जीवनरेखा हैं। किसान यदि पशुपालन और प्राकृतिक खेती को एक साथ आगे बढ़ाएँ तो उनकी आमदनी स्थायी रूप से बढ़ेगी।”

विकासखण्ड महमूदाबाद के लालपुर क्लस्टर में कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि “आज के समय में उपभोक्ता सुरक्षित व स्वास्थ्यवर्धक खाद्यान्न चाहते हैं। प्राकृतिक खेती से उत्पादित अन्न-बाजार में अधिक मूल्य प्राप्त करता है और इससे किसानों की आमदनी पर सीधा असर पड़ता है। इस पद्धति को अपनाकर किसान ‘कम लागत अधिक लाभ’ की अवधारणा को साकार कर सकते हैं।”

विकासखण्ड लहरपुर के नव्वापुर क्लस्टर में शस्य वैज्ञानिक डॉ. शिशिर कांत सिंह ने किसानों को जागरूक करते हुए कहा कि “प्राकृतिक खेती केवल तकनीकी बदलाव नहीं है बल्कि यह जीवनशैली में सुधार का माध्यम है। इससे किसानों का स्वास्थ्य सुधरता है, पर्यावरण संरक्षित होता है और कृषि दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ बनती है।”

विकासखण्ड बिसवां के गुरेरा एवं टिकारा क्लस्टर मे मृदा वैज्ञानिक डॉ. सचिन प्रताप तोमर ने किसानों को मृदा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “स्वस्थ मिट्टी ही स्वस्थ फसल की गारंटी है। रासायनिक खेती से मिट्टी की उर्वरता घटती है, जबकि प्राकृतिक खेती में मिट्टी की जैविक सक्रियता बढ़ती है, जिसके कारण फसलें अधिक सशक्त और टिकाऊ बनती हैं।”

विकासखण्ड खैराबाद के बनेहटा क्लस्टर में गृह वैज्ञानिक डॉ. रीमा ने कृषकों और कृषक परिवारों को संबोधित करते हुए कहा कि “प्राकृतिक खेती से प्राप्त उपज में पोषक तत्वों की अधिकता रहती है। ऐसे अन्न और सब्जियाँ परिवार के स्वास्थ्य के लिए अमृत समान हैं। यह पद्धति ग्रामीण परिवारों की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा को भी सुनिश्चित करती है।”

सभी कार्यक्रमों में कृषि विभाग के विषय वस्तु विशेषज्ञ, सहायक विकास अधिकारी (कृषि), प्राविधिक सहायक, बीटीएम, एटीएम तथा कृषि सखियों ने सक्रिय भागीदारी कर आयोजन को सफल बनाया।

 प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण पर जानकारी देते हुए कहा कि “सीतापुर में प्राकृतिक खेती की दिशा में जो प्रयास हो रहे हैं, उनका प्रभाव दूरगामी होगा। इससे न केवल किसानों की उत्पादन लागत घटेगी, बल्कि भूमि की सेहत सुधरेगी और बाजार में जैविक उपज का विशेष मूल्य मिलेगा। आने वाले वर्षों में सीतापुर जनपद उत्तर प्रदेश के लिए प्राकृतिक खेती का आदर्श मॉडल बनकर उभरेगा।

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