नोटबंदी के 9 साल बाद दिल्ली में 3.5 करोड़ के पुराने 500-1000 नोटों का विशाल जखीरा बरामद, चार गिरफ्तार।

दिल्ली में एक सनसनीखेज घटना ने अधिकारियों को चौंका दिया है, जहां नोटबंदी के नौ साल बीत जाने के बावजूद पुराने 500 और 1000 रुपये के

Dec 11, 2025 - 12:52
Dec 11, 2025 - 13:47
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नोटबंदी के 9 साल बाद दिल्ली में 3.5 करोड़ के पुराने 500-1000 नोटों का विशाल जखीरा बरामद, चार गिरफ्तार।
नोटबंदी के 9 साल बाद दिल्ली में 3.5 करोड़ के पुराने 500-1000 नोटों का विशाल जखीरा बरामद, चार गिरफ्तार।

दिल्ली में एक सनसनीखेज घटना ने अधिकारियों को चौंका दिया है, जहां नोटबंदी के नौ साल बीत जाने के बावजूद पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों का एक बड़ा जखीरा बरामद किया गया। यह कार्रवाई दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा की गई, जिसमें करीब 3.5 करोड़ रुपये कीमत के इन प्रतिबंधित नोटों को जब्त किया गया। घटना शालीमार बाग मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर चार के पास घटी, जहां एक गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी की गई। इस ऑपरेशन में चार व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया, जो इन नोटों के अवैध लेन-देन में शामिल पाए गए। नोटबंदी, जो 8 नवंबर 2016 को घोषित की गई थी, ने देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला था, लेकिन इस तरह की घटनाएं दर्शाती हैं कि प्रतिबंधित मुद्रा का कारोबार अभी भी जारी है। स्पेसिफाइड बैंक नोट्स एक्ट के तहत इन नोटों को रखना, खरीदना या बेचना एक गंभीर अपराध माना जाता है, और इस कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। पुलिस ने इस मामले में धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और नोटबंदी से जुड़े कानूनों के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

कार्रवाई की शुरुआत एक विश्वसनीय गुप्त सूचना से हुई, जिसमें बताया गया था कि शालीमार बाग क्षेत्र में पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों का सौदा हो रहा है। क्राइम ब्रांच ने तुरंत एक विशेष टीम का गठन किया और स्थान पर जाल बिछाया। जैसे ही संदिग्ध व्यक्ति मेट्रो स्टेशन के पास पहुंचे, पुलिस ने उन्हें घेर लिया। तलाशी के दौरान एक बैग से बड़ी मात्रा में पुरानी करेंसी बरामद हुई, जिसकी गिनती करने पर मूल्य 3.5 करोड़ रुपये से अधिक निकला। ये नोट साफ-सुथरे और अच्छी स्थिति में थे, जो संकेत देते हैं कि इन्हें हाल ही में संभाला गया था। इसके अलावा, दो वाहनों को भी जब्त किया गया, जिन्हें नोटों को ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। गिरफ्तार व्यक्तियों की पहचान हर्ष, टेक चंद, लक्ष्य और विपिन कुमार के रूप में हुई। प्रारंभिक पूछताछ में उन्होंने कबूल किया कि वे इन नोटों को कम मूल्य पर खरीद रहे थे और उच्च मूल्य पर बेचने की योजना बना रहे थे। पुलिस अब इन नोटों के स्रोत की तलाश कर रही है, क्योंकि इतनी बड़ी राशि का होना असामान्य है। नोटबंदी के समय, 500 और 1000 रुपये के नोट देश की मुद्रा आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा थे। इनका विमुद्रीकरण काले धन, नकली नोटों और आतंकवादी फंडिंग को रोकने के उद्देश्य से किया गया था। उस समय, लोगों को बैंकों में इन नोटों को जमा करने या नए नोटों से बदलने का अवसर दिया गया था, लेकिन समय सीमा समाप्त होने के बाद ये पूरी तरह से अमान्य हो गए। फिर भी, समय-समय पर ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं, जहां पुरानी मुद्रा का अवैध उपयोग पाया जाता है। इस हालिया बरामदगी में, नोटों की संख्या हजारों में थी, और वे विभिन्न श्रृंखलाओं के थे, जो नोटबंदी पूर्व के ही साबित हुए। पुलिस का मानना है कि यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि आरोपी इन नोटों को संग्रहित करने के लिए गुप्त स्थान इस्तेमाल कर रहे थे। वाहनों की जांच से पता चला कि वे इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा रहे थे, संभवतः बिक्री के लिए।

पूछताछ के दौरान, गिरफ्तार व्यक्तियों ने बताया कि वे इन नोटों को बाजार मूल्य के काफी कम दाम पर एकत्र कर रहे थे। उदाहरण के लिए, 100 रुपये के मूल्य के नोटों को मात्र 10-15 रुपये में खरीदा जाता था। इस प्रक्राली से वे लाभ कमाने की कोशिश कर रहे थे, हालांकि स्रोत का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है। पुलिस ने उनके फोन और अन्य उपकरणों की जांच शुरू कर दी है, ताकि नेटवर्क का पूरा खुलासा हो सके। यह कार्रवाई न केवल दिल्ली तक सीमित हो सकती है, बल्कि अन्य शहरों में भी इसी तरह के कारोबार की संभावना जताई जा रही है। नोटबंदी के बाद, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नए डिजाइन वाले 500 और 2000 रुपये के नोट जारी किए थे, लेकिन पुराने नोटों का लेन-देन पूरी तरह बंद हो जाना चाहिए था। फिर भी, इस घटना से स्पष्ट है कि कुछ तत्व कानून का उल्लंघन करने से बाज नहीं आ रहे। अधिकारियों ने चेतावनी जारी की है कि ऐसी गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस बरामदगी का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह नोटबंदी के उद्देश्यों को याद दिलाती है। 2016 में, विमुद्रीकरण ने अर्थव्यवस्था को डिजिटल लेन-देन की ओर धकेल दिया था, और काले धन की वापसी पर नियंत्रण लगाया था। आंकड़ों के अनुसार, नोटबंदी के समय सर्कुलेशन में मौजूद 500 और 1000 के नोटों का 99 प्रतिशत से अधिक बैंकों में वापस आ गया था। लेकिन शेष हिस्सा या तो नष्ट हो गया या अवैध रूप से संरक्षित रहा। इस मामले में, जब्त नोटों की जांच से पता चला कि वे असली थे, न कि नकली। यह बात चिंताजनक है, क्योंकि इससे अवैध संग्रह की प्रक्रिया का पता चलता है। पुलिस टीम ने बैग की सामग्री को सावधानी से निकाला और प्रत्येक नोट की गिनती की, जो कई घंटों तक चली। वाहनों में नोटों को छिपाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी, जैसे कि गद्दों के नीचे या डिब्बों में। गिरफ्तारी के समय, आरोपी सौदे की प्रतीक्षा कर रहे थे, जो संकेत देता है कि खरीदार भी मौके पर थे।

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